दरअसल, श्राद पक्ष की शुरुआत में नगर पालिका, प्रशासन की खामी सामने आ गई। 16 दिनी श्राद के पहले दिन अपने पितरों को तर्पण करने पहुंचे लोगों को किसी घाट पर जगह नहीं मिली। कहीं कीचड़ मचा हुआ तो कहीं गंदगी, कहीं पांव रखने की ही स्थिति नहीं है। ऐसे में नगर पालिका के टैंकर से एक चद्दपर पानी निकालकर लोगों ने तर्पण किया।
खास बात यह है कि वर्तमान में बारिश जारी है और भरपूर पानी नदी में है, फिर भी जिम्मदारों ने कोई व्यवस्था इसकी नहीं की। मजबूरन लोगों को वैकल्पिक तौर पर ही तर्पण करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि लगभग हर बार ऐसे ही वैकल्पिक व्यवस्था से यहां तर्पण की व्यवस्था होती है।
बिहार से आए परिवारों को छठ के पर्व पर भी ऐसे ही घाट के आस-पास पानी की व्यावस्था कर इंतजाम किए जाते हैं। शहर से होकर निकली अजनार नदी के किसी भी घाट को इतना नहीं संवारा गया कि जहां बैठकर पूरी रस्म की जा सके। इससे प्रशासनिक व्यवस्था का अदंाजा लगाया जा सकता है।
…और इस बार नदी को किसी ने नहीं संवारा
हर बार दो चार तगाडिय़ां उठाकर फोटो खिंचवाने वाले नेता, जनप्रतिनिधि, अधिकारी और कर्मचारी इस बार अजनार नदी की ओर झांकने तक नहीं आए। बीच में चुनाव की व्यस्तता आ जाने के कारण अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे पाए। हर बार थोड़ा बहुत गहरीकरण और सफाई इत्यादि कर दी जाती थी लेकिन इस बार तो नदी की कायाकल्प नहीं की गई। पूरा अस्पताल रोड का पुल भी दोनों ओर से छलनी हो चुका है, जिसमें से वाहन होकर निकल ही नहीं पा रहे। यानि नदी संरक्षण के नाम पर शहरी क्षेत्र ब्यावरा में शासन-प्रशासन की ओर से कोई काम नहीं कर पाया।
बारिश ज्यादा हो रही है
बारिश अधिक होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पाए। जहां तक बात घाटों के संरक्षण की है तो इस बार शासन स्तर पर काम अधिकता होने के कारण ऐसी स्थिति बनी। बारिश थमने के बाद जल्द ही नदी के घाटों को संवारेंगे।
-इकरार अहमद, सीएमओ, नपा, ब्यावरा