scriptनदी में पानी लेकिन घाटों की स्थिति दयनीय, टैंकर से किया तर्पण | Shraddha 2019 : Water in river ghats is pathetic tarpan by tankar | Patrika News

नदी में पानी लेकिन घाटों की स्थिति दयनीय, टैंकर से किया तर्पण

locationराजगढ़Published: Sep 13, 2019 05:08:00 pm

-अजनार नदी का एक भी घाट ऐसा नहीं जहां बैठकर तर्पण किया जा सके, नपा के टैंकर से चद्दर पर पितरों को श्रद्धांजलि
 

नदी में पानी लेकिन घाटों की स्थिति दयनीय, टैंकर से किया तर्पण

नदी में पानी लेकिन घाटों की स्थिति दयनीय, टैंकर से किया तर्पण

ब्यावरा. सार्वजनिक जल स्त्रोतों को संवारने हर बार फोटो सेशन तक ही सीमित रह जाने वाले शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण शहर की जनता को भरी बारिश में नदी में पर्याप्त पानी होने के बावजूद टैंकर के जरिए श्राद का तर्पण करना पड़ा। नदी में पानी जरूर है लेकिन एक भी घाट ऐसा नहीं है जहां बैठकर तर्पण किया जा सके। रामेश्वर घाट, अंजनीलाल मंदिर वाले घाट, भंवरगंज, गंगा घाट सहित कहीं भी ऐसा स्थान नहीं है जहां बैठक पूजन इत्यादि की जा सके।

 


दरअसल, श्राद पक्ष की शुरुआत में नगर पालिका, प्रशासन की खामी सामने आ गई। 16 दिनी श्राद के पहले दिन अपने पितरों को तर्पण करने पहुंचे लोगों को किसी घाट पर जगह नहीं मिली। कहीं कीचड़ मचा हुआ तो कहीं गंदगी, कहीं पांव रखने की ही स्थिति नहीं है। ऐसे में नगर पालिका के टैंकर से एक चद्दपर पानी निकालकर लोगों ने तर्पण किया।

 

खास बात यह है कि वर्तमान में बारिश जारी है और भरपूर पानी नदी में है, फिर भी जिम्मदारों ने कोई व्यवस्था इसकी नहीं की। मजबूरन लोगों को वैकल्पिक तौर पर ही तर्पण करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि लगभग हर बार ऐसे ही वैकल्पिक व्यवस्था से यहां तर्पण की व्यवस्था होती है।

बिहार से आए परिवारों को छठ के पर्व पर भी ऐसे ही घाट के आस-पास पानी की व्यावस्था कर इंतजाम किए जाते हैं। शहर से होकर निकली अजनार नदी के किसी भी घाट को इतना नहीं संवारा गया कि जहां बैठकर पूरी रस्म की जा सके। इससे प्रशासनिक व्यवस्था का अदंाजा लगाया जा सकता है।

 

…और इस बार नदी को किसी ने नहीं संवारा
हर बार दो चार तगाडिय़ां उठाकर फोटो खिंचवाने वाले नेता, जनप्रतिनिधि, अधिकारी और कर्मचारी इस बार अजनार नदी की ओर झांकने तक नहीं आए। बीच में चुनाव की व्यस्तता आ जाने के कारण अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे पाए। हर बार थोड़ा बहुत गहरीकरण और सफाई इत्यादि कर दी जाती थी लेकिन इस बार तो नदी की कायाकल्प नहीं की गई। पूरा अस्पताल रोड का पुल भी दोनों ओर से छलनी हो चुका है, जिसमें से वाहन होकर निकल ही नहीं पा रहे। यानि नदी संरक्षण के नाम पर शहरी क्षेत्र ब्यावरा में शासन-प्रशासन की ओर से कोई काम नहीं कर पाया।


बारिश ज्यादा हो रही है
बारिश अधिक होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पाए। जहां तक बात घाटों के संरक्षण की है तो इस बार शासन स्तर पर काम अधिकता होने के कारण ऐसी स्थिति बनी। बारिश थमने के बाद जल्द ही नदी के घाटों को संवारेंगे।
-इकरार अहमद, सीएमओ, नपा, ब्यावरा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो