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घटिया निर्माण ; रेत की जगह क्रेशर की धूल जैसी डस्ट मिलाकर बना रहे बैसमेंट

locationराजगढ़Published: Feb 04, 2021 07:20:40 pm

रेल्वे स्टेशन पर दो नंबर प्लेटफॉर्म को संवार रहे रेल्वे स्टेशन पहले भी करोड़ों रुपए के काम में बरती गई थी लापरवाही, वरिष्ठ अधिकारियों ने नहीं लिया संज्ञान

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ब्यावरा.इस तरह की धूल जैसी सेंट निर्माम कार्य के दौरान उपयोग ली जा रही है।,घटिया निर्माण ; रेत की जगह क्रेशर की धूल जैसी डस्ट मिलाकर बना रहे बैसमेंट

ब्यावरा.हमेशा भगवान भरोसे रहने वाले देश के सबसे बड़े नेटवर्क इंडियन रेल्वे (indian railway) के कार्यों में अनदेखी बरती जा रही है। पहले घटिया क्वालिटी से फुट ओव्हरब्रिज का बैसमेंट बनाया गया जो कुछ माह में भी धंस गया, इसके बाद प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बिना किसी मॉनीटरिंग के कोटा स्टोन (फर्सी) उखाड़े बिना ही ऊपर सी सीमेंट डालकर टाइल्स लगा दिए गए। अब यही स्थिति दो नंबर प्लेटफॉर्म पर देखने को मिल रही है।
दरअसल, दो नंबर प्लेटफॉर्म पर किए जा रहे मरम्मत के कार्य के तहत सीसी निर्माण के माध्यम से ऊपर देशी वाली फर्सी लगाई जा रही है। इसमें उपयोग ली जाने वाली रेत की जगह ठेकेदार गिट्टी की सबसे बारिक वाली डस्ट (मिट्टी जैसी) उपयोग कर रहा है। िजससे उसकी क्वालिटी पर संदेह खड़ा हो रहा है। गिट्टी, सीमेंट और डस्ट क्या डाल रहे हैं और क्या नहीं, इसका कोई दायरा ही तय नहीं है। खास बात यह है कि इस पूरे निर्माण की मॉनीटरिंग करने वाला तक यहां कोई नजर नहीं आता। रेल्वे के आईओडब्ल्यू प्रभाग के जरिए होने वाले काम में सीधे तौर पर अनदेखी बरती जा रही है, जिस पर किसी का कोई जोर नहीं चल रहा। रेत की जगह धूल जैसी डस्ट से न सिर्फ सीमेंट खराब हो रही बल्कि बैसमेंट को क्वालिटी भी नहीं मिल पा रही है। हालांकि आईओडब्ल्यू का कहना है कि सेंट उपयोग ली जा सकती है लेकिन क्रेशर की उक्त सेंट धूल से भी बदतर है।

पहले भी पानी में बहा दिए रेल्वे के लाखों रुपए
करीब डेढ़ साल पहले भी सीआरएस और जीएम के दौरे से पहले रेल्वे ने लाखों रुपए बेवजह पानी में बहा दिए। पूरा फर्श व्यवस्थित होने के बावजूद उसे उखड़वा दिया गया, फिर ठेकेदार ने भी बिना किसी व्यवस्थित कार्य के पहले से लगे पत्थर के फर्श के ऊपर ही सीसी कर उसी पर टाइल्स चिपका डाले। यानि कुल मिलाकर सिर्फ बारी चमक दिखाने के लिए इंजीनियरिंग के तमाम पैरामीटर्स धरे रह गए। रेल्वे के किसी जिम्मेदार इंजीनियर, आईओडब्ल्यू और वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
ऐसी ही लापरवाही फुटओव्हर ब्रिज में भी बरती
98 लाख रुपए से अधिक की लागत से बनकर खड़े हुए फुट ओव्हर ब्रिज को लेकर भी ऐसी ही अनदेखी बरती गई। घटिया क्वालिटी के सरिया, सीमेंट लगाकर बेसमेंट तैयार किया गया। जिससे पहली बारिश ही ब्रिज नहीं झेल पाया। शुरुआती बारिश के बाद ही उसके बैसमेंट में लगाए गए पैवर्स ब्लॉक धंस गए। गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा इसके कारण नहीं हुआ। दोबारा उन्हें उखड़वाकर जैसे-तैसे मिट्टी डालकर वैकल्पिक इंतजाम किया गया, तब बात बनीं।े
हम चेक कर लेंगे
बारिक जो डस्ट है वह क्रेशर सेंट कहलाता है, उसका उपयोग किया जा सकता है लेकिन यदि मिट्टी जैसा कुछ है तो हम दिखवाते हैं, क्या कमी है जांच करेंगे।
-पंकज कुमार, आईओडब्ल्यू, रेल्वे, शाजापुर

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