करीब डेढ़ साल पहले भी सीआरएस और जीएम के दौरे से पहले रेल्वे ने लाखों रुपए बेवजह पानी में बहा दिए। पूरा फर्श व्यवस्थित होने के बावजूद उसे उखड़वा दिया गया, फिर ठेकेदार ने भी बिना किसी व्यवस्थित कार्य के पहले से लगे पत्थर के फर्श के ऊपर ही सीसी कर उसी पर टाइल्स चिपका डाले। यानि कुल मिलाकर सिर्फ बारी चमक दिखाने के लिए इंजीनियरिंग के तमाम पैरामीटर्स धरे रह गए। रेल्वे के किसी जिम्मेदार इंजीनियर, आईओडब्ल्यू और वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
ऐसी ही लापरवाही फुटओव्हर ब्रिज में भी बरती
98 लाख रुपए से अधिक की लागत से बनकर खड़े हुए फुट ओव्हर ब्रिज को लेकर भी ऐसी ही अनदेखी बरती गई। घटिया क्वालिटी के सरिया, सीमेंट लगाकर बेसमेंट तैयार किया गया। जिससे पहली बारिश ही ब्रिज नहीं झेल पाया। शुरुआती बारिश के बाद ही उसके बैसमेंट में लगाए गए पैवर्स ब्लॉक धंस गए। गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा इसके कारण नहीं हुआ। दोबारा उन्हें उखड़वाकर जैसे-तैसे मिट्टी डालकर वैकल्पिक इंतजाम किया गया, तब बात बनीं।े
हम चेक कर लेंगे
बारिक जो डस्ट है वह क्रेशर सेंट कहलाता है, उसका उपयोग किया जा सकता है लेकिन यदि मिट्टी जैसा कुछ है तो हम दिखवाते हैं, क्या कमी है जांच करेंगे।
-पंकज कुमार, आईओडब्ल्यू, रेल्वे, शाजापुर