तीन माह में देना होती है रिपोर्ट, कमी मिलने पर पैनॉल्टी-टैक्स का नियम
सूत्रों के अनुसार जीएसटी विभाग अब छापे और रेड की जगह सर्वे की कार्रवाई करती है। इसके तहत जांच के समय से लेकर तीन माह तक का समय इसमें मिलता है, जिसके आधार पर ही रिपोर्ट बनाना होती है। कई बार कच्चे बिल पर भी माल दे दिया जाता है उसकी भी जांच इसी सर्वे में की जाती है। अभी मीडिया के समक्ष विभागीय टीम ने सिर्फ इतनी ही जानकारी दी है कि सर्वे कार्य किया जा रहा है। बाकि पूरी रिपोर्ट बनाने के लिए विभाग के पास तीन माह का समय रहता है। यदि रिकॉर्ड इससे भी बड़ा होता है तो कमिश्नर से अनुमति लेकर जांच अवधि और भी बढ़ाई जा सकती है। जांच रिपोर्ट में जो भी सामने आता है उसके अनुसार टैक्स और पैनॉल्टी लगाई जाती है।
दो फर्म पर सर्वे की कार्रवाई कर रहे
आयुक्त महोदय के निर्देश पर हम संबंधित फर्म (पीडी इंटरप्राइजेस और मंगल इंटरप्राइजेस) का सर्वे कर रहे हैं। इसके तहत इ-वे बिल, पर्चेसिंग बिल की सप्लाई और इसे वेरिफाई कर रहे हैं। साथ ही स्टॉक और रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है। काम ज्यादा है इसलिए दो टीमें लगी हैं, देर रात तक हमें यह जांच करना है।
-रीता चतुर्वेदी, डिप्टी कमिश्नर, जीएसटी विभाग, देवास
सूत्रों के अनुसार जीएसटी विभाग अब छापे और रेड की जगह सर्वे की कार्रवाई करती है। इसके तहत जांच के समय से लेकर तीन माह तक का समय इसमें मिलता है, जिसके आधार पर ही रिपोर्ट बनाना होती है। कई बार कच्चे बिल पर भी माल दे दिया जाता है उसकी भी जांच इसी सर्वे में की जाती है। अभी मीडिया के समक्ष विभागीय टीम ने सिर्फ इतनी ही जानकारी दी है कि सर्वे कार्य किया जा रहा है। बाकि पूरी रिपोर्ट बनाने के लिए विभाग के पास तीन माह का समय रहता है। यदि रिकॉर्ड इससे भी बड़ा होता है तो कमिश्नर से अनुमति लेकर जांच अवधि और भी बढ़ाई जा सकती है। जांच रिपोर्ट में जो भी सामने आता है उसके अनुसार टैक्स और पैनॉल्टी लगाई जाती है।
दो फर्म पर सर्वे की कार्रवाई कर रहे
आयुक्त महोदय के निर्देश पर हम संबंधित फर्म (पीडी इंटरप्राइजेस और मंगल इंटरप्राइजेस) का सर्वे कर रहे हैं। इसके तहत इ-वे बिल, पर्चेसिंग बिल की सप्लाई और इसे वेरिफाई कर रहे हैं। साथ ही स्टॉक और रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है। काम ज्यादा है इसलिए दो टीमें लगी हैं, देर रात तक हमें यह जांच करना है।
-रीता चतुर्वेदी, डिप्टी कमिश्नर, जीएसटी विभाग, देवास