एक तो कोरोना और दूसरी बाढ़
चाय पत्ती के दामों में दो महीने के अंदर प्रति किलो 100 रुपए से ज्यादा की वृद्धि हो गई है। बताया जा रहा है कि चाय पत्ती के दामों में वृद्धि का कारण एक तो कोरोना है जिसके कारण पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली चाय पत्ती की उपज कम हुई हैं वहीं दूसरी तरफ इन दिनों असम और मेघालय जैसे क्षेत्रों में आई बाढ़ के कारण भी यह कारोबार ठप्प पड़ गया है। यही कारण है कि इसका असर पूरे देश के साथ प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है। पहले चाय की पत्ती के दाम 150 से लेकर 190 रुपए तक था, लेकिन अब इसमें प्रति किलो 50 से लेकर 100 रूपए तक की वृद्धि हो गई है।
चाय पत्ती की बढ़ी कालाबाजारी
चाय पत्ती के दामों में वृद्धि होने के कारण अब इसकी कालाबाजारी भी होने लगी है। कहने का अर्थ की खुले बाजार में मिलने वाली चाय पत्ती को अब कई व्यापारी विभिन्न कंपनियों के वेपर छपवाते हुए उनमें यह खुली चाय पत्ती भर रहे हैं। पिछले दिनों जिले के बोड़ा थाना अंतर्गत ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जिसमें सनम कंपनी के व्यापार में खुली चाय पत्ती भरते हुए लोगों को पुलिस ने पकड़ा था।
क्या कहते हैं व्यापारी और ग्राहक
चायपत्ती के दामों में हुए इजाफे पर जब व्यापारियों से बात की गई तो राजगढ़ के व्यापारी विकास गुप्ता ने बताया कि यह बात बिल्कुल सही है कि चाय पत्ती के दामों में वृद्धि हुई है और यह वृद्धि थोड़ी बहुत नहीं अच्छी खासी है। चाय पत्ती के दामों में इजाफा क्यों हो रहा है इसका कारण फिलहाल हमें भी नहीं पता। लेकिन हम तो जिस तरह से हम तक चाय पहुंच रही है, उसी तरह से ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ रागिनी शर्मा नाम की ग्रहणी ने बताया कि चाय की पत्ती के दामों में जो वृद्धि हुई है। वह हमें उस समय नजर आई जब हमने एक साथ किराने का सामान मंगाया और लिस्ट में देखा कि पिछले माह जो दर चाय पत्ती की लिखी थी। उससे लगभग दोगनी कीमत नजर आई। इतनी वृद्धि एक साथ नहीं होना चाहिए।