पटवारियों के साथ वहां से चले गए
दरअसल, रात में पहुंचे तहसीलादर ने मरीजों को देख रहे डॉक्टर से कहा कि कौन है यहां, क्या चल रहा है और जल्दी-जल्दी फोटो खिंचवाकर कहने लगे कि मुझे कमिश्नर ने बोला है मैं आता रहूंगा। इस पर ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि आपको अपना परिचय तो देना चाहिए था, सीधे आकर आपने हमारा काम प्रभावित किया है। प्रोटोकॉल के हिसाब से भी एक तहसीलदार को सीधे मेडिकल ऑफिसर के काम में दखल अंदाजी करने का अधिकार नहीं है। मेडिकल ऑफिसर एसडीएम के रेंज के होते हैैं। इसके बाद वे बहस करते हुए पटवारियों के साथ वहां से चले गए
मुझे कमिश्नर ने बोला है, कोई नहीं रोक सकता
पूरे समय तहसीलदार अपना रोब झाड़ते रहे। मरीजों और डॉक्टर से कहते रहे कि मैं हमेशा आऊंगा, मेरी रोजाना कमिश्नर से बात होती है… आगे भी आता रहूंगा… कमिश्नर ने ही मुझे यहां आने को बोला है। आप लोग अपना काम करिए। हालांकि जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि हमने किसी को इस तरह से जाने का नहीं बोला है। अधिकारी अपनी मर्यादा में रहकर ही निरीक्षण कर सकते हैं।
मरीज बोले- ये कैसे अधिकारी, आंखें लाल, नशे में लग रहे
मौके पर मौजूद मरीजों ने पत्रिका को बताया कि डॉक्टर साहब देख रहे थे ये आकर खड़े हो गए और फोटो खिंचवाने लग गए। अधिकारी जैसे कोई लग ही नहीं रहा था, आंखें लाल थी मानों नशे में हो। बता दें कि निरीक्षण करते हुए खुद का फोटो खिंचवाने की जल्दबाजी में तहसीलदार तमाम गंभीरता ही भूल गए और किसी से बात करना ही ठीक नहीं समझा। जल्दी से फोटो खिंचवाकर वाट्स-एप किया और पटवारियों के साथ रवाना हो गए।
तीन बार कॉल किया एक बार भी नहीं उठाय
पत्रिका ने तहसीलदार ए. आर. चिरामन को पूरे घटनाक्रम के संबंध में करीब दो से तीन बार कॉल किया लेकिन उन्होंने बात करना भी ठीक नहीं समझा। पत्रिका द्वारा उन्हें बुधवार रात 10.13 बजे उन्हें कॉल किया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद गुरुवार शाम क्रमश: 4.16 और 4.20 बजे उन्हें कॉल किया लेकिन उन्होंने जवाब देना ही ठीक नहीं समझा। इससे आप तहसीलदार की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं।
हमने तहसीलदार को नहीं बोला
हमने इस तरह से किसी को नहीं बोला है, उन्हें अपनी रेपोटेशन का ध्यान रखना चाहिए था। हमने और कमिश्नर मेम ने ऐसा कुछ नहीं बोला। मैं जवाब लूंगी, उसी हिसाब से कार्रवाई सनिश्चित करूंगी।
निधि निवेदिता, कलेक्टर, राजगढ़