फर्जी तरीके से प्याज बेचने का सौदा जिलेभर में धड़ल्ले से चल रहा है। संबंधित पंजीयकृत किसान से ये बिचौलिए (व्यापारी) सौदा कर लेते हैं और प्रति क्विंटल पर एक नीयत राशि तय कर ली जाती है। बड़े स्तर पर होने वाले इस खेल में किसानों के नाम पर लाखों रुपए का चूना शासन को लगाया जा रहा है। यानि जिस व्यापारी ने प्याज खरीदी उसी प्याज को किसान का बताकर वही व्यापारी दोबारा बेच देता है। इसके लिए संबंधित किसान को प्रति क्विंटल कुछ राशि दे दी जाती है और उक्त प्याज की दो-दो बार बोली लग जाती है। शासन को न सिर्फ अंतर राशि देना पड़ती है, बल्कि जो बोली लगती है वह भी वहन करना पड़ती है।
इन खरीदी केंद्रों पर सरेआम की जा रही गड़बड़ी में मंडी कर्मचारियों, उद्यानिकी और खरीदी के दौरान तैनात रहने वाले तमाम जिम्मेदारों की मिलीभगत है। इसमें छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े जिम्मेदार अधिकारी तक शामिल हैं। इन्हीं की सांठ-गांठ में होने वाली गड़़बड़ी पर कोई अंकुश लगाने वाला नहीं है। न मंडी प्रशासन इसकी जांच करता है ना ही जिला प्रशासन। इसीलिए प्याज खरीदी में गड़बड़ी का आलम थमने का नाम नहीं ले रहा।
मंडियों में व्याप्त गड़बड़ी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जितने पंजीकृत किसान हैं उनमें से आधे ने शासन की खरीदी से बाहर ही बेच दिए क्योंकि भाव बाहर ज्यादा बेहतर हैं। जबकि शासन के रिकॉर्ड में बेचने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है। यानि भले ही आधे किसानों के ही पंजीयन हुए हों लेकिन सभी से खरीदी होना शासन के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है। किसानों की संख्या के आधार पर ही गड़बड़ी का अंदेशा लगाया जा सकता है।
&मेरे जहन में तो ऐसा कोई मामला नहीं है। मंडी में यदि ऐसा हो रहा है तो मैं बारीकी से जांच करवाता हंू। इस तरह से कोई भी व्यापारी मिलीभगत नहीं कर सकता। यदि मंडी कर्मचारी भी शामिल है तो जांच के बाद कार्रवाई करेंगे।
-जी. एल. दांगी, प्रभारी सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा