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किसानों से खरीदी प्याज को ट्रक में लोड कर मंडी में ही पंजीयन पर बेच रहे बिचौलिए!

locationराजगढ़Published: Jun 21, 2019 11:19:29 pm

Submitted by:

Praveen tamrakar

rajgarh ब्यावरा. किसानों की उपज को लाभ का धंधा बनाने के लिए शासन स्तर पर भले ही प्याज खरीदी की जा रही हो लेकिन इसमें जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से बिचौलियों की चांदी हो गई है।

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Beaua. These trucks standing in the Bawa mandi are those in which the onion has been loaded on the Mandi and they are being sold in a fraudulent manner in the name of the farmer for registration of another farmer.

ब्यावरा. किसानों की उपज को लाभ का धंधा बनाने के लिए शासन स्तर पर भले ही प्याज खरीदी की जा रही हो लेकिन इसमें जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से बिचौलियों की चांदी हो गई है। किसानों से प्याज खरीदकर उसे ही फर्जी तरीके से किसान बनकर बेचने में कुछ लोग लगे हैं। जिलेभर के खरीदी केंद्र (पांचों मंडियों) में यह गड़बड़झाला जारी है। ब्यावरा मंडी में तीन दिन से ऐसे ट्रक आ रहे हैं जिनमें किसानों के प्याज तुल रहे हैं। 
यानि शासन के रिकॉर्ड में यह दर्शाया जा रहा है कि उक्त प्याज किसान की है लेकिन ये वे बिचौलिए हैं जो किसानों से ही प्याज खरीदकर अन्य किसानों के पंजीयन पर ही फर्जी तरीके से प्याज तुलवा रहे हैं। उन्हें एक फायदा तो प्याज खरीदकर मिल गया और दूसरा शासन स्तर पर मिलने वाली बोनस राशि का लाभ वे बड़े स्तर पर लेना चाहते हैं। इस गड़बड़ी में न सिर्फ मंडी के कर्मचारी शामिल हैं, बल्कि उद्यानिकी के जिम्मेदार कर्मचारी भी शामिल हैं जो पूरे समय खरीदी के दौरान वहां तैनात रहते हैं।

पंजीयन वाले से कर लेते हैं सौदा
फर्जी तरीके से प्याज बेचने का सौदा जिलेभर में धड़ल्ले से चल रहा है। संबंधित पंजीयकृत किसान से ये बिचौलिए (व्यापारी) सौदा कर लेते हैं और प्रति क्विंटल पर एक नीयत राशि तय कर ली जाती है। बड़े स्तर पर होने वाले इस खेल में किसानों के नाम पर लाखों रुपए का चूना शासन को लगाया जा रहा है। यानि जिस व्यापारी ने प्याज खरीदी उसी प्याज को किसान का बताकर वही व्यापारी दोबारा बेच देता है। इसके लिए संबंधित किसान को प्रति क्विंटल कुछ राशि दे दी जाती है और उक्त प्याज की दो-दो बार बोली लग जाती है। शासन को न सिर्फ अंतर राशि देना पड़ती है, बल्कि जो बोली लगती है वह भी वहन करना पड़ती है।

न मंडी जांच करती ना प्रशासन
इन खरीदी केंद्रों पर सरेआम की जा रही गड़बड़ी में मंडी कर्मचारियों, उद्यानिकी और खरीदी के दौरान तैनात रहने वाले तमाम जिम्मेदारों की मिलीभगत है। इसमें छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े जिम्मेदार अधिकारी तक शामिल हैं। इन्हीं की सांठ-गांठ में होने वाली गड़़बड़ी पर कोई अंकुश लगाने वाला नहीं है। न मंडी प्रशासन इसकी जांच करता है ना ही जिला प्रशासन। इसीलिए प्याज खरीदी में गड़बड़ी का आलम थमने का नाम नहीं ले रहा।

ऐसे जानें गड़बड़ी की हकीकत
मंडियों में व्याप्त गड़बड़ी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जितने पंजीकृत किसान हैं उनमें से आधे ने शासन की खरीदी से बाहर ही बेच दिए क्योंकि भाव बाहर ज्यादा बेहतर हैं। जबकि शासन के रिकॉर्ड में बेचने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है। यानि भले ही आधे किसानों के ही पंजीयन हुए हों लेकिन सभी से खरीदी होना शासन के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है। किसानों की संख्या के आधार पर ही गड़बड़ी का अंदेशा लगाया जा सकता है।
&मेरे जहन में तो ऐसा कोई मामला नहीं है। मंडी में यदि ऐसा हो रहा है तो मैं बारीकी से जांच करवाता हंू। इस तरह से कोई भी व्यापारी मिलीभगत नहीं कर सकता। यदि मंडी कर्मचारी भी शामिल है तो जांच के बाद कार्रवाई करेंगे।
-जी. एल. दांगी, प्रभारी सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा

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