हाल ही में जिला प्रशासन और अन्य विभागों की हुई बैठक में भोपाल कमिश्नर comissioner ने इस प्रोजेक्ट को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे, इसमें जमीन अलॉट होने के बाद प्रक्रिया बढ़ाने पर जोर दिया गया। हालांकि कई फाइलें रेलवे की ओर से ही अटकी पड़ी रही लेकिन राजस्व विभाग ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया।
जानें रामगंजमंडी लाइन का अभी तक का सफर… -2001 में फाइनल सर्वे के बाद भूमि-पूजन।
-2003 में सत्ता परिवर्तन के बाद प्रोजेक्ट दब गया।
-2008 में कुछ राशि आई लेकिन उपयोग नहीं हो पाया।
-2011 में तत्कालीन एमपी ने फिरिज हो चुके प्रोजेक्ट को डिफिरिज करवाया।
-2013 में 200 करोड़ मिले, उपयोग नहीं।
-2015 में 200 करोड़ मिले लेकिन भूमि-अधिग्रहण land acquisition के।
-2017 में 200 करोड़ मिले लेकिन कंस्ट्रक्शन के लिए नहीं।
-2018 में भूमि-अधिग्रहण में उलझा रहा प्रोजेक्ट।
-2019 में कोई अतिरिक्त फंड नहीं।
इस प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें एक हिस्सा भोपाल-से कोटा तक का है और दूसरा कोटा से ब्यावरा। इसमें खास बात यह है रामगंजमंडी थर्मल पॉवर thermal power से झालावाड़ तक ट्रेन कभी से दौडऩे लगी है और झालावाड़ से राजस्थान सीमा तक का काम भी जोरों पर है लेकिन आश्चर्य की बात है मप्र सीमा में कोई काम अभी तक शुरू ही नहीं हो पाया है। दो से तीन बार डीआरएम बदल गए, दो बार सांसद बदल गए लेकिन इस प्रोजेक्ट को रफ्तार नहीं मिल पाई।
पीएम के फॉस्ट टैक प्रोजेक्ट Fast Track project में शामिल, फिर भी रफ्तार धीमी : railway project …
इस प्रोजेक्ट को वर्ष-2017 में प्रधानमंत्री के फॉस्ट टैक प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। केंद्र के विशेष प्रोजेक्ट में शामिल होने के बावजूद एमपी madhya pradesh में इसका काम आगे नहीं बढ़ पाया है। इसके पीछे कारण माना जा रहा है कि बीते 18 साल में जितनी भी बार सत्ता परिवर्तन हुआ, अलग-अलग जनप्रतिनिधि आए और प्रोजेक्ट उलझा रहा। किसी ने खास तरीके से उस पर जोर नहीं दिया। इसीलिए यह प्रोजेक्ट रफ्तार नहीं पकड़ पाया।
फैक्ट फाइल –
– 1365 करोड़ से बनना है रामगंजमंडी-भोपाल लाइन।
– 700 करोड़ रुपए था प्रारंभिक बजट।
– 2001 में रखी गई थी नींव।
– 200 करोड़ वर्ष-2016 में मिले थे।
– 200 करोड़ इस बार के बजट में मिले।
– झालावाड़ Jhalawar तक चालू हो चुकी है लाइन।
– मप्र में रेलवे के नाम पर महज भू-अर्जन।
– 260 किमी लंबी है पूरी लाइन।
(नोट : रेलवे से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
भाजपा जबरन नाम दे रही
2011 प्रोजेक्ट फिरिज (खत्म) हो गया था हमने प्राथमिकत तौर पर डि-फिरिज करवाया। हमारे द्वआरा शुरू किए गए प्रोजेक्ट को भाजपा अपना नाम दे रही है और कर कुछ नही पाई।
– नारायणसिंह आमलाबे, जिला अध्यक्ष, कांग्रेस, राजगढ़
अगले ढाई माह में दिखेगा रिजल्ट
जमीनों का अलॉटमेंट लंबे समय से अटका हुआ था, जिस पर हमने काम शुरू करवाया है। आगामी दो से ढाई माह में इसके रिजल्ट दिखना शुरू होंगे। ब्यावरा से शुरुआत हुई है।
– निधि निवेदिता, कलेक्टर, राजगढ़
प्रोजेक्ट को लेकर चिंता की जा रही है, 2022 तक इस ट्रैक पर ट्रेन दौडऩे लगेगी। पीएम के फॉस्ट टैक प्रोजेक्ट में शामिल लाइन का काम जल्द से जल्द पूरा करवाया जाएगा।
– रोडमल नागर, सांसद, राजगढ़