-362000 हैक्टे. कुल सींचित रकबा।
-3470000 हैक्टे. में थी सोयाबीन।
-350000 का लक्ष्य इस बार का।
-8000-10000 प्रति क्वींटल में मिल रहा बीज।
-40 प्रतिशत तक हुआ था नुकसान।
(नोट : कृषि विभाग के अनुसार प्रारंभिक जानकारी)
ब्यावरा में 2064 वैरायटी की डिमांड बढ़ी, जीरापुर में 9560 सर्वाधिक
जिलेभर में सोयाबीन को लेकर कमी बताई जा रही है। ब्यावरा में पिछली बार सर्वाधिक बारिश में खराब हो चुकी 9560 वैरायटी की जगह अब सफेद फूल वाली 2034 वैरायटी की डिमांग बढ़ी है। डिमांड ऐसी बढ़ी है कि कृषिविभाग के पास भी बीज कम है, बीज निगम के पास तो कुछहै ही नहीं।चुनिंदा व्यापारियों के पास मशीन क्लीन बीज है तो वे 9 से 10 हजार रुपए प्रति क्वींटल भाव मांग रहे हैं। ऐसे में किसानों के सामने बोवनी का बीज जुटा पाना टेड़ी खीर हो गया है।
किसान संघ के संभागीय अध्यक्ष कुमैरसिंह सौंधिया बताते हैं कि किसानों पर यह दोहरी मार है।पिछली बार प्राकृतिक आपदा उन्होंने झेली। इस बार भाव की मार झेल रहे हैं। जब किसान की उपज मार्केट में पहुंचती है तो उसे भाव नहीं मिल पाता, अब जब उन्हें बीज चाहिएतो भाव आसमान छू रहे हैं। अब अन्नदाता 10 हजार रुपएक्वीटंल का बीज बोकर क्या सोने-चांदी कमाएगा? आखिर कितना फायदा उसे इतने महंगे बीज से हो पाएगा?
30-40 किसानों को दे दिया अब नहीं
अब हमारे पास बीज का स्टॉक नहीं है, 30-40 किसानों को हम दे चुके हैं।हमारे पास वर्तमान में कुछ भी नहीं है। शासन से मांग की गईहै, फिलहाल नहीं है।
-लखनलाल गुप्ता, प्रबंधक, बीज निगम, ब्यावरा
वरिष्ठ कार्यालय में भी नहीं है
आगे से ही वरिष्ठकार्यालयों में भी बीज की दिक्कत है। पिछली बार बीज की कमी रही, इसके कारणऐसे हालात बनें। हमने मांग भेजी है लेकिन इस बार कमी जरूर है।
-हरीश मालवीय,उप-संचालक, कृषि विभाग, राजगढ़