खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर पुलिस के साथ ही यातायात पुलिस ने अपनी गश्ती बढ़ा दी है और वाहनों की चेकिंग लगातार हो रहीं है। लेकिन कलेक्ट्रेट के अंदर खड़े इन वाहनों को देखकर ऐसा कहीं भी नहीं लग रहा कि कार्रवाइ निष्पक्ष तरीके से हो रहीं हो। फिर चाहे नेताओं के वाहनों की बात हो या फिर कुछ सरकारी कर्मचारी या अधिकारियों की। जिन पर नियम विरूद्ध अपने नाम या पद लिखे होने के बावजूद इनके खिलाफ कार्रवाइ नहीं कर पा रहे।
एचएससिंह, परिवाहन अधिकारी राजगढ़
निजी वाहन पर भी नंबर से बड़ा पदनाम
कलेक्ट्रेट में निर्वाचन को लेकर एक मीटिंग आयोजित की गई थी। जिसमें कई अधिकारी कर्मचारी शामिल हुए थे। लेकिन सबसे अधिक इन नियमों का पालन विधानसभा चुनाव के दौरान हीं देखने को मिला था। लेकिन वर्तमान स्थिति देखे तो जिम्मेदार हीं इन नियमों को तोड़ते नजर आ रहे है। किसी ने निजी वाहनों पर अपने पद की नेम प्लेट लगा रखी है, तो किसी ने अपने पदों का हवाला दिया है। जबकि कुछ ने अपने विभाग का नाम लिखवा रखा है। यहीं टैक्सी परमिट के अनुबंध के जगह अधिकारी अपने परिचितों या खुद के वाहनों को दूसरे नंबरों से चला रहे है।