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चुनावी दंगल 2022: सांसद-विधायक के चुनाव सी खींचतान, आखिरी तक बनाते रहे समीकरण

locationराजगढ़Published: Jun 25, 2022 03:28:47 pm

ग्रामीण मतदाता बोले- सोच-समझकर देंगे वोट

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राजगढ़ (ब्यावरा)। चुनावी दंगल की शुरुआत त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण से शनिवार से होने वाली है। इसे लेकर की जा रही तमाम तैयारियों पर पूर्णविराम एक दिन पहले लगा। हालांकि प्रत्याशियों ने सांसद, विधायक के बड़े चुनाव सी खींच-तान इसमें की। तमाम प्रकार के गणित आखिरी रात तक बैठाते रहे।

दरअसल, छोटे चुनाव की बड़ी पंचायत में वोटर्स कन्फ्यूज हो गए हैं। इतने दिन से जारी प्रचार-प्रसार थम गया। कोई पांव पड़ गया तो कोई हाथ जोड़ता रहा, तो कोई घर-घर जाकर संपर्क में जुटा रहा। कोई किसी की पहचान निकाल रहा था तो कोई रिश्तेदारी से संपर्क करने में जुटा था।

चुनाव के दिन पहले तक भी तमाम तरह के गणित सरपंच प्रत्याशी बैठाते रहे। हालांकि कई गांव ऐसे हैं जहां एक ही समाज के कई प्रत्याशी मैदान में हैं, इससे उनके सामने भी धर्म संकट खड़ा हो गया। वहीं, कुछ प्रत्याशी तमाम प्रकार के दावे, आश्वासन कर उन्हें मनाते और रिझाते रहे। यहां तक कि मतदान केंद्र तक ले जाने तक वे मतदाताओं को समझाते और मनाते रहे।

वोटर्स नाराज बोले- पानी नहीं मिला तब कहां गए थे?
चुनाव को लेकर ग्रामीणों की अपनी प्रतिक्रियाएं हैं। उनका कहना है कि भगवान के आगे जैसे झूकते हैं वैसे दंडवत होने वाले ये प्रत्याशी तब कहां गए थे जब हम परेशान थे? पूरी गर्मी पानी के लिए परेशान होते रहे। शासन स्तर भी पुराने सरपंचों ने कोई इंतजाम नहीं किया।

आपस में ही राजनीति करते रहे और ग्रामीणों की कोई परवाह नहीं की। अब ऐसे लोगों को हम कैसे चुनें? कैसे इन्हें जिम्मेदारी सौंपें। ऐसी तमाम प्रतिक्रियां ग्राम पंचायतों में सामने आ रही हैं। पानी के साथ ही अन्य कई समस्याओं से गांवों में जूझ रहे ग्रामीणों का रोष भी इस चुनाव के बहाने बाहर निकलकर आ रहा है।
जिसके पास ज्यादा वोट समूह, उसे मनाते-रिझाते रहे
पंचायतों में प्रचार-प्रसार का सिलसिला सरपंच पद तक ही सीमित नहीं रहा। जनपद और जिला पंचायत के लिए भी यहां सतत प्रचार हुए। इसमें मतदाता यह तय नहीं कर पाए कि आखिर वोट देना किसे है? प्रत्याशी भी ऐसे लोगों को ढूंढ़ते रहे जिनके पास वोट ज्यादा हैं और जिनकी बात ज्यादा लोग मानते हों। जिनके पास ज्यादा वोट वे नेता हो गए, उसे मनाते-रिझाते रहे। कोई रिश्तेदारी निकाल रहे तो कोई पुरानी पहचान। हाथ जोड़कर अभिवादन कर तरह-तरह के दावे-आश्वासन उनसे करते रहे।
आज का मतदाता पढ़ा-लिखा और जागरूक है। वह किसी की बातों में नहीं आता। वोट उसी को जाएगा जिसने कुछ कर के दिखाया हो। इतने सालों से देखते आए हैं, कहीं काम नहीं हुए हैं। जनता के जवाब देने का यह समय है, वह जवाब देगी।
– सचिन सुमन, ग्राम पंचायत, मलावर
गांवों में होने वाले चुनाव ज्यादा चुनौतीपूर्ण होते हैं। लोगों को हर स्तर पर संतुष्ट कर पाना भी बेहद कठिन है। लेकिन मतदाता भी अब जागरूक हुए हैं वे बातों में नहीं आते, सोच-समझकर अपने मत का उपयोग करते हैं।
– राधेश्याम दांगी, एएसआई (जीआरपी), ग्राम पंचायत, पड़ोनिया
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