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इन सरकारी स्कूलों में होती है निजी स्कूलों जैसी पढ़ाई, शिक्षकों के लिए है ड्रेस कोड, देखें वीडियो…

locationराजगढ़Published: Dec 05, 2019 06:32:24 pm

-शिक्षकों ने चंदा एकत्रित कर स्कूलों में लगवाई एलईडी, लग रही स्मार्ट क्लास-मलावर संकुल के 32 स्कूलों में से 17 में कर ली है शिक्षकों ने व्यवस्था, शिक्षकों के लिए तय की प्रॉपर ड्रेस कोड

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इन सरकारी स्कूलों में होती है निजी स्कूलों जैसी पढ़ाई, शिक्षकों के लिए है ड्रेस कोड, देखें वीडियो…

ब्यावरा से राजेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट…
प्रतिस्पर्धा के दौर में निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की होड़ मची हुई है। इसी कड़ी में कुछ सरकारी स्कूल भी ऐसे हैं जो अत्याधुनिक तकनीकि से बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं।
ब्यावरा ब्लॉक के मलावर संकुल केंद्र के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने एक पहल की है। इससे प्रदेश का पहला संकुल यह बन गया है। यहां के शिक्षकों ने चंदा एकत्रित कर स्कूलों में स्मार्ट टीवी लगवाई है, जिसके माध्यम से अत्याधुनिक तकनीकि के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई करवाई जा रही है।

स्कूलों को अपग्रेड करने में जुटे
इन स्कूलों में बच्चे स्मॉर्ट टीवी में मोगली उत्सव के साथ ही अन्य रूटीन की पढ़ाई संबंधित बारीकियां भी समझ रहे हैं। शिक्षकों ने उक्त स्कूलों को पूरी तरह से निजी स्कूलों की तर्ज पर अग्रेड किया है। शिक्षकों ने स्वैच्छता से ही यह बीड़ा उठाया है और स्कूलों को अपग्रेड करने में जुटे हैै।

32 में से 17 स्कूलों में लगा दी है स्मॉर्ट टीवी
प्राचार्य ने बताया कि पूरे संकुल के 32 में से 17 स्कूलों में स्मॉर्ट टीवी लगा दी गई है। इस टीवी के माध्यम से विभिन्न बारीकियां बच्चों को आसानी से बताई जा रही है। स्मॉर्ट एलईड़ी से विभिन्न तकनीकि से पढ़ाई, योजनाओं की जानकारी बच्चों को दी जा रही है। अगली कड़ी में प्रत्येक स्कूल में स्मॉर्ट कक्ष बनाया जाएगा।

विशेष व्यवस्थाएं की गई है
इसके अलावा स्कूलों में लाइब्रेरी, कॅरियर मार्ग दर्शन, खेल-कूद गतिविधियों की भी विशेष व्यवस्थाएं की गई है। मलावर स्कूल में मुख्य द्वार का पुननिर्माण किया गया है, दीवारों की रंगाई-पुताई कर इन्हें भी अपग्रेड किया गया है।

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स्कूलों में बढ़ी बच्चों संख्या, पढ़ाई में रुचि भी बढ़ी
स्कूलों को स्मार्ट बनाने से काफी बदलाव सरकारी स्कूलों में देखने को मिला है। अभी तक जिन स्कूलों में बच्चे ही नहीं पहुंचते थे वहां बच्चों की संख्या में इजाफा भी हुआ है और वे रुचि लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही बच्चों के पैरेंट्स (पालक) भी इस बात को समझने लगे हैं। वे खुद बच्चों को आगे आकर स्कूल भेजते हैं।
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काली पेंट, सफेद शर्ट और महरून टाई में आते हैं शिक्षक
स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने और अनुशासन कायम रखने के लिए शिक्षक भी बकायदा अनुशासन में रहते हैं। इसके लिए पूरे संकुल में शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए भी ड्रेस कोड तय किया गया है। इसके तहत काली पेंट, सफेद शर्ट और मेहरून टाई पहनकर शिक्षक स्कूल पहुंचते हैं। पूरे संकुल में यही ड्रेस कोड लागू किया गया है। प्रदेश का यह पहला संकुल है जहां न सिर्फ ड्रेस कोड फॉलो की जा रही है बल्कि स्मॉर्ट क्लास बनाने के लिए शिक्षकों ने आगे रहकर बीड़ा उठाया है।

शिक्षकों की मदद से किया
पूरे संकुल के शिक्षकों की मदद से यह काम कर पाए हैं। आगामी दिनों में बचे हुए स्कूलों को भी अपग्रेड करना है। लक्ष्य महज एक ही है कि बच्चों को सरकारी स्कूलों में भी हाईटैक सुविधाएं मुहैया करवाना और उनकी रुचि पढ़ाई के प्रति बढ़ाना है।
-हितेंग्र नागर, प्राचार्य और संकुल प्रभारी, मलावर


नहीं अतिरिक्त फंड का प्रवाधान
उक्त शिक्षकों ने अपने स्तर पर ही फंड जुटाकर स्कूलों को अपग्रेड किया है। स्मार्ट टीवी और अन्य काम के लिए अतिरिक्त फंड का कोई प्रावधान नहीं है। संकुल के शिक्षकों ने सकारात्मक पहल शिक्षा विभाग के लिए की है।
-जे. पी. यादव, बीईओ, ब्यावरा

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