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वाटर स्पोट्र्स में जीते तीन स्वर्ण, एक कांस्य व एक रजत पदक

locationराजगढ़Published: May 21, 2019 11:00:56 am

Submitted by:

Satish More

पर्दा प्रथा से निकल कर समाज की एक बालिका ने ना सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी वाटर स्पोर्ट्स खेलों में समाज और जिले का गौरव बढ़ाया

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Three gold, one bronze and one silver medal in Water Sports

राजगढ़. जिले की बाहुल्य जातियों में से एक सोंधिया समाज पिछले कई वर्षो से पर्दा प्रथा में नजर आ रहा है। जहां आज भी ग्रामीण अंचल की महिलाएं लोगों के सामने अपना घुंघट नहीं हटाती फि र चाहे वह उम्र में ज्यादा हो या छोटे लेकिन पर्दा प्रथा से निकल कर समाज की एक बालिका ने ना सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी वाटर स्पोर्ट्स खेलों में समाज और जिले का गौरव बढ़ाया है और इन प्रतियोगिताओं में शामिल होकर तीन गोल्ड एक सिल्वर और एक कांस्य पदक जीतकर प्रदेश का नाम भी रोशन किया है।

राजगढ़ के छोटे से गांव में कटकीकापुरा, जिसमें मात्र 15 से 20 घर हैं और बात उमा के परिवार की करें तो उनके पिता एक किसान हैं, जिनके पास ज्यादा जमीन भी नहीं है, लेकिन उमा के हौसले ने उसे भोपाल पहुंचाया और भोपाल में मिली ट्रेनिंग के बाद न सिर्फ भोपाल, हैदराबाद, दिल्ली बल्कि एशिया के कई देशों में पहुंचकर अपने हौसलों का लोहा मंनवाया है।

रविवार को अपने गांव पहुंची उमा ने परिवार के साथ समय बिताया और कुछ दिन बाद पर वापस लौटेंगी, जहां हैदराबाद के बाद दुबई में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेंगी। उमा गांव से चार साल पहले भोपाल गई, जहां उन्होंने वापस वाटर स्पोर्ट्स का क्लब जॉइन किया और अब वे क्लब के लिए भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुकी हैं। पिछले दिनों हांगकांग और साइप्रस में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें प्रदेश के खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सम्मानित कर चुके हैं।

कई देशों में लिया भाग
भारत के अलावा उमा दुबई, साइप्रस, हॉगकांग, थाईलैंड, ओमान इंडोनेशिया जैसे देशों में इस प्रतियोगिता में देश का नेतृत्व कर चुकी है। आगामी समय में हैदराबाद में होने वाली अंतरराष्ट्रीय वाटर स्सोटर््स प्रतियोगिता में एक बार फि र वह भाग लेने जा रही हैं। समाज का नाम रोशन करने वाली उमा का अब पूरा समाज जीरापुर में आयोजित होने वाले प्रतिभा सम्मान समारोह में सम्मान करेगा।
परिवार से मिला हौसला
मेरी कामयाबी में मेरे परिवार का पूरा हाथ है। यदि वे मुझे भोपाल नहीं जाने देते तो शायद आज मैं भी गांव की अन्य बालिकाओं के साथ खेतों में काम कर रही होती या फि र घर पर ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ काम करती। लेकिन मेरी रुचि देखकर परिवार ने भोपाल जाने दिया। अब मैं वहां नाना-नानी के साथ रहती हूं और हर दिन अच्छा करने के लिए प्रयासरत हूं।
उमा चौहान खिलाड़ी वाटर स्पोर्ट्स
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