किसी ने ध्यान नहीं दिया…
जिला चिकित्सालय में भर्ती इस तीन माह की बालिका ने विभागीय व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। जहां न सिर्फ बच्ची बल्कि उसकी मां की हालत भी कमजोर नजर आती है। ब्यावरा के लाडनपुर गांव में रहने वाली एक महिला ने अपनी तीसरी बेटी को जन्म दिया तीन माह बीत जाने के बाद भी बेटी की तरफ शायद किसी ने ध्यान नहीं दिया।
अभियान के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति…
यही कारण है कि अब आशा नाम की उस बिटिया की हालत बहुत ही नाजुक बनी हुई है। जिला चिकित्सालय के चिल्ड्रन वार्ड में उसका इलाज चल रहा है। वहीं 21 दिन तक उसे एनआरसी में भी रखने की डॉक्टर ने सलाह दी है, लेकिन उस बालिका की हालत ऐसे कैसे हुई और इसका जिम्मेदार कौन है। इन मामलों पर कोई चर्चा नहीं होती। यही कारण है कि आज भी संजीवनी जैसे अभियान चलाए जाने के बाद भी जिले में कुपोषण बना हुआ है।
खाली पड़े रहते हैं एनआरसी भवन
कुपोषण को कम करने के लिए जिले के कई अस्पतालों में एनआरसी भवन चल रहे हैं, लेकिन कई गांव में कुपोषित बच्चों के होने के बावजूद आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या फिर एएनएम आदि इस तरफ कोई ध्यान नहीं देती, जिसके कारण कई बार बीमारी के बीच बच्चों की जान तक चली जाती है, लेकिन तमाम अभियानों और जागरुकता कार्यक्रमों के बाद भी ब’चों को एनआरसी भवन नहीं भेजा जाता है।
फिलहाल इस बच्चे को लेकर में संबधित से बात करती हूं। आखिर अस्पताल लाने में इतना समय क्यों लगा। पूरी जानकारी लेते हैं।
चन्द्रसेना भिडे महिला बाल विकास अधिकारी, राजगढ़