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टमाटर के नहीं मिल रहे खरीदार, नहीं बिके तो किसानों ने मवेशियों को खिलाए

locationराजगढ़Published: Apr 23, 2018 11:22:31 am

Submitted by:

Ram kailash napit

गर्मी अधिक होने से रोजाना खराब हो रहे टमाटर, उत्पादन अधिक होने से पूरा मार्केट गड़बड़ाया

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After surviving. Tomatoes feeding the cattle daily in this way after surviving.

राजगढ़/ब्यावरा. 80 से 120 रुपए किलो तक बिककर देशभर में सुर्खियां बटोरने वाले टमाटर की हालत इन दिनों खराब है। थोक में एक से तीन रुपए किलो तक वर्तमान में टमाटर बिक रहे हैं। हालत यह है कि नहीं बिकने की स्थिति में या तो उन्हें फेंकना पड़ रहा है या मवेशियों को खिलाया जा रहा।

दरअसल, स्थानीय स्तर पर अचाकन उत्पादन बढऩे और बाहरी मंडियों में भी टमाटर की मांग नहीं होने के कारण भाव में गिरावट आई है। मार्केट में थोक में एक रुपए प्रति किलो में बिकने वाले टमाटर खेर्ची तौर पर पांच से सात रुपए प्रतिकिलो में बिक रहे हैं। इसकी सीधी मार मंडी के व्यापारियों के साथ ही उन किसानों पर भी पड़ी है जिन्होंने महंगा बीज खरीदकर गर्मी के सीजन में भी सब्जियों की बोवनी की थी। किसानों का तर्क है कि टमाटर की उपज उगाकर दवाई, गुढ़ाई और खेत के मैंटेेनेंस पर जितनी राशि खर्च हुई उसकी लागत भी टमाटर नहीं दे पा रहे हैं। फिलहाल ब्यावरा मंडी में रोजाना 40 से 50 कैरेट टमाटर रोजाना फेंके जा रहे हैं। कुछ खुले में फेंके जा रहे हैं और कुछ मवेशियों को खिला रहे हैं।


अन्य सब्जियों के भी सामान्य भाव
कुछ ही ऐसी सब्जियां हैं जो बाहर से मंगाई जाती हैं और जिनके भाव सामान्य से थोड़े ऊपर हैं। इनमें भिंडी, करेला और टिंडे को छोड़कर बाकी सभी सब्जियों के भाव सामान्य हैं। 100 रुपए किलो बिकने वाला हरा धनिया 10 रुपए किलो है। शुरू में 8 0 से 100 रु. किलो बिकने वाला कच्चा आम भी १५ से २० रु. किलो तक सिमट गया है। हालांकि स्थानीय लेवल पर नापानेरा क्षेत्र की सब्जियां मंडी में आती हैं जिनके भाव लोकल के हिसाब से कम होते हैं। बाकी इंदौर और भोपाल की मंडियों से थोक में सब्जियां आती हैं। टमाटर नापानेरा के अलावा लोकल में कई किसानों ने बोया है,लेकिन भाव कम होने से लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा। शुरुआत में महज नींबू को छोड़कर लगभग सभी सब्जियों के ऐसे ही हाल हैं। खास बात यह है कि लोकल में सस्ती रहने वाली सब्जियों के बड़ी मंडियों में भी बुरे हाल है। वहां के फुटकर और थोक विक्रेताओं को भी सब्जियों के सही दाम नहीं मिल पा रहे। न ही यहां से पैदा होने वाली सब्जियों की मांग बड़ी मंडियों में है। रोजाना होने वाली खपत भी बाहरी मंडियों पर ज्यादा है। इसी कारण लोकल में बिकने वाली तमाम सब्जियां मंंदी के दौर में गुजर रही है।
एक नजर में भाव
कच्चा आम १५-२०
बैंगन ०८-10
गिल्की 35-40
लोकी ०८-१०
भिंडी २०-२५
टिंडा ३५-४०
गोभी २०-25
ककड़ी 15-२०
हरा धनिया ०८-१०
(सब्जी मंडी से प्राप्त भाव प्रति किलो में)


टमाटर का मार्केट काफी डाउन है, भाव कम होने से कई बार फेंकने की स्थिति बनती है। प्रतिदिन करीब 40 से 50 कैरेट टमाटर बचते हैं ऐसे में या तो उन्हें फेंकना पड़ता है या मवेशियों को खिलाने पड़ते हैं। गर्मी अधिक होने के कारण ज्यादा दिन होते ही सब्जियां खराब होने लगती हैं।
-फुलसिंह कुशवाह, थोक सब्जी विक्रेता, सब्जी मंडी, ब्यावरा
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