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राजगढ़

जिस शहर का ट्रैफिक 50 साल से नहीं सुधरा वहां 88 लाख सिर्फ सिग्नल खर्च कर डाले!

-पीड़ा बयां कर रही जनता, मिट्टी में मिला दी शासन की राशि-बुनियादी सुविधाओं की बजाए दिखावा करने में लगी नगर पालिका परिषद, जनता धूल खा रही, गंदगी से सना पूरा शहर

राजगढ़Dec 05, 2019 / 10:42 am

Rajesh Kumar Vishwakarma

जिस शहर का ट्रैफिक 50 साल से नहीं सुधरा वहां 88 लाख सिर्फ सिग्नल खर्च कर डाले!

जिस शहर का ट्रैफिक 50 साल से नहीं सुधरा वहां 88 लाख सिर्फ सिग्नल खर्च कर डाले!

राजेश विश्वकर्मा
ब्यावरा.शहर की जनता भले ही बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही हो, उन्हें समय पर भले ही साफ पानी नहीं मिल पा रहा हो, उनके घर के बाहर की नालियां भले साफ नहीं हो रही हो लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने जनता की सुविधा के लिए आने वाले लाखों रुपए मिट्टी में मिला दिए हैं। शहर की जनता का यह दर्द साढ़े चार साल की नगर परिषद को कोसते हुए बाहर निकल रहा है।
दरअसल, नगर पालिका परिषद ने शहर को इंदौर-भोपाल जैसा बाहरी तौर पर दिखाने के लिए 88 लाख रुपए के ट्रैफिक सिग्नल चुनिंदा चौराहों पर लगवाए हैं। इसके टेंडर भी जारी हो गए, काम भी हो गया हालांकि चल नहीं पाए हैं।

 

वहीं, इन्हीं सिग्नल से होकर निकलने वाली जनता पूरे एबी रोड पर रोजाना उलझ रही है, ट्रैफिक 50 सालों से उसी हाल में है जैसा था? बावजूद इसके जनता की सुविधाओं का ध्यान रखे बिना नपा ने इंदौर की इलेक्ट्रो कंपनी से पूरे 88 लाख रुपए मिट्टी में मिला दिए हैं। इस बात को लेकर शहरभर में चर्चा है, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लोग दबी आवाज में आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, हालांकि खुलकर कोई सामने भी नहीं आता। वहीं, शहर की आधी से अधिक आबादी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है।

पैवर्स लगे ने जालियां, रोड भी अधूरा
18 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बने डिवाइडर वाले रोड की फुटपॉथ धूल खा रही है, उसी के साथ धूल खा रहा है पूरा शहर। शहर को सुंदर बनाने के लिए डिवाइडर पर जालियां लगाई जाना थीं, पौधे लगाकर शहर को कश्मीर सा सुंदर बनाने के दावे किए गए लेकिन हकीकत में जमीन पर कुछ नजर नहीं आया। हालात यह हैं कि पूरा रोड अधर मे ंहै। पुलि-पुलियाओं का का नहीं हो पाया है। साथ ही अन्य काम भी नहीं हो पाए हैं। करीब दो साल से बंद हुए काम को कोई गति नहीं दे पाया।


फैक्ट-फाइल
-88 लाख की है लागत।
-05 पाइंट्स पर लगाए गए हैं सिग्नल।
-04.5 साल में विकास की ईंट भी नहीं रखी गई।
-50 फीसदी आबादी परेशान है।
-70 फीसदी ही पूरा हो पाया पाइप लाइन का काम।
(नोट : नपा से प्राप्त जानकारी के अनुसार)


नालियां बनीं न साफ हुईं, नाले सी हो गई अजनार
शहरवासियों ने आरोप लगाया कि मोटे कमीशन के फेर में लाखों रुपए के ट्रैफिक सिग्नल लगवाने वाले जिम्मेदार यह भूल चुके हैं कि शहर की जनता अभी भी पीने के पानी के लिए तक तरस रही है। कई हिस्सों में पाइप लाइन ही अभी तक नहीं पहुंची है। जगह-जगह रोड खुदे पड़े हैं। नालियां कई जगह बनीं नहीं है और कई जगह सालों से साफ नहीं हुई। जिस अजनार के शुद्धिकरण के डीपीआर नपा तैयार करती है वह किसी गंदे नाले से भी बदतर हो चुकी है।

भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने


कहीं अच्छी जगह लगाने थे रुपए
जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इतनी बड़ी राशि कहीं अच्छी जगह लगाई जाना थी। शहर के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है और सिग्नल लगाकर लोगों को बड़े शहरों के सपने दिखाए जा रहे हैं। साढ़े चार साल में भाजपा की नगर परिषद कुछ नहीं कर पाई, आम लोगों को भी इस बात का अहसास हो चुका है।
-रामचंद्र दांगी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता, ब्यावरा

जो जरूरी था वह कुछ नहीं किया
जब भी डिवाइडर वाले रोड को देखते हैं तो अंरर्मन में बहुत पीड़ा होती है, जब से काम बंद हुआ तब से कोई शुरू करवा ही नहीं पाया। अरे पैवर्स ब्लॉक, जालियां तो लगवा लेते, रोड पूरा करवा लेते, इसके बाद भी ट्रैफिक सिग्नल लगवाए जा सकते थे। जनता के हक का पैसा पानी में बहाया जा रहा है, जो असहनीय है।
-नारायणसिंह पंवार, पूर्व विधायक, ब्यावरा

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