इसमें जहां लोगों की लापरवाही है, वहीं यदि सरकार की बात करें तो कहीं न कहीं यह कमी ही कही जाएगी कि कोवीशील्ड के एक वायल में 10 डोज आ रहे हैं, जिनका उपयोग 11 लोगों के लिए भी किया जा सकता है, लेकिन कोवैक्सीन कि यदि बात की जाए तो २० डोज का वाइल आ रहा है, जिसके कारण यह वैक्सीन 30 से लेकर 50 प्रतिशत तक हर दिन खराब हो रही है। जिस दिन किसी तरह का कोई अभियान होता है और बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण का लक्ष्य लिया जाता है उस दिन यह स्थिति कम देखने को मिलती है, लेकिन आम दिनों में यह बड़ी मात्रा में खराब हो रहे हैं।
प्राइवेट पर 750 से 1000 रुपए का डोज
जब प्राइवेट सेंटर पर वैक्सीन लग रही थी, उस समय कीमत 7५० से लेकर 1000 रुपए तक थी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि एक भी डोज खराब होता हैं तो सरकार को कितना बड़ा नुकसान होता है, लेकिन यहां हर दिन 30 से 50 प्रतिशत तक नुकसान जा रहा है।
क्या है टीके का शेडयूल
कोवीशील्ड की प्रथम डोज लगने के बाद 84 से लेकर 112 दिन के बीच इसे लगाए जा सकता है। जबकि को वैक्सीन कि यदि बात हम करते हैं तो इसकी अवधि 28 दिन से लेकर 42 दिन तक की है। यही कारण है कि जिन लोगों को प्रथम डोज कोवैक्सीन का लगा है, उनका दूसरा डोज भी जल्द आ रहा है। यही कारण है कि लक्ष्य के अनुरूप को वैक्सीन ज्यादा मंगवाई जा रही है।
खुलने के बाद सिर्फ चार घंटे उपयोगी
कोवीशील्ड हो या को वैक्सीन दोनों ही वैक्सीन का बायल एक बार खोल लिया जाए तो वह 4 घंटे ही उपयोगी रहता है। ऐसे में निर्धारित समय में यदि 20 लोग नहीं पहुंचते या 20 लोग को यह टीका नहीं लग पाता तो शेष बचा हुआ डोज खराब हो जाता है।
लोग आगे नहीं आ रहे
जिला टीकाकरण अधिकारी, राजगढ़ एलपी भकोरिया ने बताया कि लोग खुद आगे रहकर सामने आएं और दूसरा टीका लगवाएं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। खोज खोजकर दूसरे रोज को तैयार किया जा रहा है। फिर भी पूरे लोग नहीं मिल पाते, वैक्सीन खराब न हो इसके लिए हमने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मांग की है, जो डोज 20 के आ रहे हैं उन्हें 5 या 10 का ही भेजा जाए। ताकि यह खराब न हो। हमने गर्भवती और धात्री महिलाओं को लक्षित किया है, ताकि यह खराब होने की जगह सभी को लग सके।