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800 रुपए कम हो गए गेहूं के दाम, जिसे लेना है जल्दी करें नहीं तो फिर बढ़ जाएंगे

locationराजगढ़Published: Mar 20, 2023 03:29:25 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

जो गेहूं चंद दिनों पहले 2800 से 2900 रुपए क्विंटल बिक रहा था, वही गेहूं अब 2000 से 2100 रुपए क्विंटल बिक रहा है, अगर आपको भी घर में खाने के लिए गेहूं लेना है.

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ब्यावरा. जो गेहूं चंद दिनों पहले 2800 से 2900 रुपए क्विंटल बिक रहा था, वही गेहूं अब 2000 से 2100 रुपए क्विंटल बिक रहा है, अगर आपको भी घर में खाने के लिए गेहूं लेना है, तो अभी अच्छा समय है, क्योंकि बाद में गेहूं के दाम बढ़ने की संभावना है, क्योंकि इस बार बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं की फसल भी प्रभावित हुई है।

 

खेती को लाभ का धंधा बनाने सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। जिले में बड़े रकबे में बोए जाने वाले गेहूं को अब उत्पादन के ठीक बाद सही भाव नहीं मिल रहे हैं। पहले ही प्राकृतिक मार झेल रहे किसानों पर अब दोहरी मार पड़ रही है। दरअसल, एक समय में 2800 से 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिके गेहूं के भाव 2100 तक सिमट कर रह गए। वहीं, सरकारी समर्थन मूल्य भी 2125 रुपए ही मिल रहे हैं, जिससे किसानों को सही दाम अपनी उपज के नहीं मिल रहे। खास बात यह है कि जैसे ही गेहूं के दाम बढ़े तो अचानक से राष्ट्रीय स्तर पर भाव को लेकर चर्चा की गई। पैक्ड ऑटे के साथ ही अन्य गेहूं उत्पादों के दाम भी बढ़ गए। फिर अचानक से व्यापारियों की मोनोपॉली के चलते भाव कम हो गए। जब किसानों के पास गेहूं कम मात्रा में था या न के बराबर था, तब भाव आधे से भी कम हो गए, अब हालात ये हैं कि जैसे -जैसे किसानों के गेहूं निकलते जा रहे हैं, बम्पर पैदावार के साथ बाजार में पहुंच रहे हैं तो भाव स्वत: ही समर्थन मूल्य के भी नीचे पहुंच गए हैं। जिससे किसानों का लागत मूल्य निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है। हाल ही में हुई मावठे वाली बारिश और ओलावृष्टि से वैसे ही गेहूं खराब होने की कगार पर है, 20 फीसदी गेहूं अभी भी खेतों में है, ऐसी स्थिति में किसानों को अभी भी पूरा हक का भाव नहीं मिल पाया है।

 

किसानों के सामने बड़ी परेशानी यह है कि उन्हें समर्थन मूल्य के साथ ही बाजार में भी सही दाम नहीं मिल रहे। सरकारी स्तर पर बेचने में रुचि नहीं रही है। सीमित पंजीयन अभी तक हो पाए हैं। अब बाहर भी सही दरें नहीं मिल पा रही। इससे किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है।

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अधिकतर रकबे में से गेहूं की पैदावार राजगढ़ में है। कुछ हद तक नुकसान इस मौसम से हुआ है लेकिन जहां तक भाव की बात है तो वह राष्ट्रीय कृषि बाजार पर निर्भर है।

-हरीश मालवीय, उप-संचालक, कृषि विभाग, राजगढ़

गेहूं के भाव बड़ी मंडियां सुनिश्चित करती हैं, उन्हीं के अनुरूप स्थानीय व्यापारी खरीददारी करते हैं। उत्पादन पर भी निर्भर करता है, वर्तमान में भाव स्थित रहने के आसार हैं।

-पवन कुमार-बाबूलाल अग्रवाल, गल्ला व्यापारी ब्यावरा

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