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शहीद की पत्नी ने आंसुओं से की तिरंगे में लिपटे पति की चरणवंदना, रो पड़ा जनसैलाब

locationराजगढ़Published: Aug 27, 2020 12:08:41 am

Submitted by:

Shailendra Sharma

शहीद मनीष को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब, देशभक्ति के नारों और गॉर्ड ऑफ ऑनर के बीच पंचतत्व में विलीन हुए शहीद मनीष…

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राजगढ़. गगन में गूंजते देशभक्ति के नारे, गोलियों की आवाज और नम थी हर आंख..जी हां शहीद मनीष के अंतिम सफर का दृश्य कुछ ऐसा ही था। हर आंख नम थी और गर्व से हर सीना चौड़ा..जुबां पर एक ही बात थी कि जब तक सूरज चांद रहेगा शहीद मनीष का नाम रहेगा। शहीद मनीष जिंदाबाद की आवाज जैसे खत्म ही नहीं हो रही थी। आम और खास सभी शहीद को दिल से नमन कर रहा था।

 

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श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब
शहीद मनीष को श्रद्धांजलि के लिए उनके गृहनगर खुजनेर में जनसैलाब उमड़ गया। हर गली, हर मोहल्ला शहीद के इंतजार में था। सुबह से ही लोग सड़क पर पलकें लगाए बैठे थे कि कब शहीद की पार्थिव देह के दर्शन होंगे। शहीद मनीष की पार्थिव देह लेकर जहां से भी आर्मी का वाहन गुजरा लोगों ने पुष्प वर्षा कर उसका स्वागत किया। देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीद मनीष की पार्थिव देह सेना के अधिकारियों और सैनिकों के साथ चल रहे जनसैलाब के साथ जैसे ही खुजनेर पहुंची तो शहीद मनीष के तिरंगे में लिपटे हुए शरीर के अंतिम दर्शन के आतुर लोगों ने उन पर फूल बरसाए और शहीद मनीष जिंदाबाद और अमर रहे के नारे लगाए।

 

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पत्नी आरती ने अंतिम बार किए पति के दर्शन
शहीद मनीष के घर पहुंचने के बाद सेना के अधिकारी और जवान पार्थिव देह लेकर मनीष के माता-पिता के पास लेकर पहुंचे। तिरंगे में लिपटे मनीष को देख माता-पिता फफक-फफक कर रो पड़े जिन्हें बाद में सेना के अधिकारियों ने और लोगों ने ढ़ांढ़स बंधाने की कोशिश की। सारा माहौल गमगीन हो गया, हर किसी की आंखें आंसूओं से भर आईं। शहीद जवान मनीष की पत्नी आरती बीते तीन दिनों से लगातार रो रही थी और इस आस में थी कि वह जी भर के अपने पति का चेहरा देखेगी। लेकिन आर्मी के जवानों के साथ ही विभिन्न व्यवस्थाओं को लेकर सिर्फ दो मिनट के लिए ही पत्नी आरती के पास मनीष की पार्थिव देह को ले जाया गया। तिरंगे में लिपटे पति से लिपटकर पत्नी आरती रो पड़ी। मुंह दिखाने के बाद पत्नी आरती ने पति की परिक्रमा ली और चरण वंदन कर तेज तेज रोने लगी जिसे परिजनों ने किसी तरह संभाला।

 

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पिता को चेहरा नही दिखाया तो हुए आग बबूले
घर में एक बार चेहरा दिखाने के बाद आर्मी के जवान पार्थिव शरीर को मुक्तिधाम तक लेकर पहुंचे। जहां गार्ड ऑफ ऑनर चल रहा था। उसके बाद जब मुखाग्नि देने के लिए लोग मनीष को ले जा रहे थे, उसी दौरान पिता ने एक बार और बेटे का चेहरा देखने की बात कही। लेकिन इस पर आर्मी की टीम राजी नहीं हुई। ऐसे में वह नाराज हो गए और उन्होंने उसे उठाने से इंकार कर दिया। तब पूर्व विधायक अमर सिंह यादव और आर्मी के कर्नल उन्हें समझाने के लिए पहुंचे, तब कहीं जाकर पिता को चेहरा भी दिखाया और अंतिम संस्कार की किया। मुक्तिधाम में सेना के गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद बड़े भाई हरीश ने शहीद मनीष की चिता को मुखाग्नि दी। मुक्तिधाम में मौजूद हजारों लोगों ने नम आंखों और अपने मोबाइलों में शहीद मनीष के अंतिम संफर को मानो जीवनभर के लिए कैद कर लिया।

देखें शहीद मनीष के अंतिम सफर का वीडियो-

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