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चिकित्सालय में टीटी के लिए आईं महिलाओं को जमीन पर लेटाना पड़ा

locationराजगढ़Published: Nov 16, 2018 10:29:34 am

Submitted by:

Amit Mishra

सात माह बाद भी काम अधूरा, ठेकेदार समय पर पूरा नहीं कर पा रहा काम, पीडब्ल्यूडी ने बिजली व्यवस्था भी बिगाड़ी…..

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चिकित्सालय में टीटी के लिए आईं महिलाओं को जमीन पर लेटाना पड़ा

राजगढ। मार्च-2018 में पूरा होने वाला सिविल अस्पताल के सेकंड फेस का काम सात माह बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। हालात यह हैं कि अधूरे अस्पताल में करीब तीन-चार माह बाद टीटी (ट्यूबेक्टोमी) करवाने आईं महिलाओं को जमीन पर लेटाना पड़ा। 30 से 100 बेड के अस्पताल में न पर्याप्त बेड हैं न ही समुचित व्यवस्था।

 

इस बीच डॉक्टर्स ने अपने स्तर पर 17 टीटी केस निपटाए लेकिन निर्माण एजेंसी की लेटलतीफी और अधूरे काम के कारण अस्पताल के गद्दे जमीन पर पटकर महिलाओं को लेटाना पड़ा।


जमीन पर लेटने से महिलाओं को इन्फेक्शन का खतरा भी है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि बेड की दिक्कत है वैकल्पिक तौर पर गद्दों पर ही लेटाना पड़ा। हालांकि बिल्डिंग की लेटलतीफी में निर्माण एजेंसी का तर्क है कि अस्पताल प्रबंधन ने हमें बिल्डिंग समय पर खाली कर के नहीं दी, वहीं अस्पताल पूरा समय होने के बावजूद सात माह बाद भी काम ही चल रहा है। इससे असुविधाएं हो रही हैं।

13 लाख में बिजली का टेंडर, फिर भी अंधेरा….
पूरे अस्पताल में बिजली का काम अधूरा पड़ा हुआ है, जिससे शाम होते ही आधी बिल्डिंग में अंधेरा पसर जाता है। जिससे मरीजों को परेशानी होती है। 13 लाख रुपए से ग्राउंड की बिल्डिंग में बिजली का ठेका पीडब्ल्यूडी के माध्यम से दिया गया है जो कि आज तक नहीं पूरा हो पाया है। इससे अस्पताल का अन्य कंस्ट्रक्शन भी नहीं हो पा रहा है। यहां के पूरे काम अधूरे पड़े हैं और टाइल्स इत्यादि भी नहीं लग पा रहे हैं।

 

अधूरे अस्पताल में मरीजों के साथ ही स्टॉफ को भी परेशानी होती है। महिला स्टॉफ को बिजली नहीं होने के कारण अंधेरे में भय बना रहता है और वहीं पूरे परिसर में अंधेरा रहता है। न ठेकेदार और ना ही संबंंधित विभाग ऐसे गंभीर मामले में जवाबदारी नहीं ले रहा है।

छह माह में चालू हुई ओटी, सर्जरी का ग्रॉफ भी गिरा….
जिलेभर में टीटी कैम्प में महिलाओं को जमीन पर लेटाने का यह पहला मामला नहीं है। अकसर सरकारी अस्पतालों के हालात ऐसे ही रहते हैं।

 

वहीं, करीब छह माह से बंद पड़े ओटी (ऑपरेशन थियेटर) को टीटी केसेस के बहाने चालू किया गया है। इससे न सिर्फ सीजर, सर्जरी और अन्य मामलों में ओटी का ग्रॉफ आंकड़ों में बिगड़ा है बल्कि शासन के रिकॉर्ड में भी यह सिद्ध हो गया कि यहां जरूरत ही नहीं है।

 

शासन के पास महीनों तक यह रिकॉर्ड नहीं पहुंचने से सीमित संसाधनों के साथ ही व्यव्सथाएं भी सीमित कर दी जाती हैं और उसी हिसाब से डॉक्टर्स और अन्य स्टॉफ मुहैया होते हैं।

हमने तय समय पर ठेकेदार को काम दे दिया था लेकिन लोकल बॉडिज ने टेंडर का रेट भी बिगाड़ दिया और काम भी समय पर नहीं किया। अब हमें उक्त ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेट करेंगे और अस्पताल से यदि लेटर मिला तो हम जल्द काम कर देंगे।
-अशोक शर्मा, ईई, पीडब्ल्यूडी (इलेक्ट्रिक), भोपाल


अस्पताल प्रबंधन ने हमें बिल्डिंग समय पर नहीं दी। इसलिए काम गड़बड़ा गया, बार-बार लेटलतीफी भी इसी लिए हुई। अब ओपीडी काउंटर के पास टाइल्स लगना है और थोड़ा बहुत कंस्ट्रक्शन वर्क बचा है जिसे 15 दिन में पूरा कर लिया जाएगा।
-अजय कुशवाह, सब-इंजीनियर, एनआरएचएम, राजगढ़


अस्पताल का काम अभी अधूरा है और पर्याप्त पलंग भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जगह के अभाव में और पलंग की कमी के कारण ऐसी स्थिति बनी हुई है। हम संबंधित ठेकेदार को बोलकर जल्द काम पूरा करवाएंगे।
-डॉ. विजय सिंह, सीएमएचओ, राजगढ़

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