इस संकल्प को पूरा करने की शुरूआत करेड़ी गांव से हुई है। जहां आजीविका मिशन के तहत बने ३० समूह की सदस्यों ने गांव की आंगनवाडिय़ो में दर्ज कुपोषित बच्चों को अपने स्तर से सुपोषित करने का प्रयास शुरू किया है। जिसके लिए उन्हें समय समय पर दूध, दलिया आदि दिया जा रहा है।
इस मिशन के तहत उनके खान—पीने का भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। करेड़ी में वर्तमान में पांच आंगनवाडिय़ा संचालित है। जिसमें दर्ज बच्चों में से २८ बच्चें कुपोषित है। संजीवनी अभियान के तहत इनमें से छह बच्चों को पूर्व में ही अन्य लोगो ने गोद ले लिया था। शेष बचे २२ बच्चों की जिम्मेदारी आजीविका मिशन की महिलाओं ने ली है। इस मिशन के तहत कुछ बच्चों को बेहतर जिंदगी मिल सकेगी। जिससे उनका भविष्य उज्जल होगा।
आपदा कोष से करेंगी व्यवस्थ
कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मिशन की महिलाओं द्वारा उन्हें प्रतिदिन दूध सहित अन्य पोषक तत्व दिए जाएगें। समूह की अध्यक्ष राधाबाई ने बताया कि बच्चों को प्रोटिन युक्त दूध पिलाने के लिए समूह की दो दो महिलाएं प्रतिदिन आंगनवाड़ी पहुचेंगी। इस दूध की व्यवस्था समूह द्वारा बचत से गठित कोष से की जाएगी। आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक संजीव सक्सेना ने बताया कि पांच मई को आजीविका कौशल विकास दिवस के दिन करेड़ी पहुंचे कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के आहन पर समूह की महिलांओ ने यह पहल की है। जल्द ही अन्य गांवो में भी इस तरह की शुरूआत की जाएगी। जिससे कुपोषित बच्चों को पोषण मिल सकेे।