अधिकारियों को एक दिन और मजदूरों का 5 दिन का वेतन काटना गलत
मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला मंजू साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के उच्च अधिकारी कर्मचारियों का वेतन ७0000 से ८0000 रुपए होने के बाद भी 1 दिन का ही वेतन काटा जा रहा है जबकि गरीब महिलाओं का 5 दिन का वेतन काटते हुए 200 काट दिया गया जो कि सरासर गलत है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 300 बढ़ोतरी किया गया वेतन आज तक गरीब महिलाओं को नसीब नहीं हुआ इस बात को कहने के लिए ना तो अधिकारी ध्यान दे पाते हैं और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण इस ओर ध्यान देते हैं।
मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला मंजू साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के उच्च अधिकारी कर्मचारियों का वेतन ७0000 से ८0000 रुपए होने के बाद भी 1 दिन का ही वेतन काटा जा रहा है जबकि गरीब महिलाओं का 5 दिन का वेतन काटते हुए 200 काट दिया गया जो कि सरासर गलत है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 300 बढ़ोतरी किया गया वेतन आज तक गरीब महिलाओं को नसीब नहीं हुआ इस बात को कहने के लिए ना तो अधिकारी ध्यान दे पाते हैं और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण इस ओर ध्यान देते हैं।
बढ़ा हुआ मानदेय अब तक अप्राप्त
महिलाओं ने बताया कि शासन के द्वारा विगत समय 1200 रुपए मासिक वेतन मिलता है जिसमें 300 बढ़ाकर महिलाओं को 1500 रुपए वेतन मिलना था जोकि शासन के द्वारा बढ़ा हुआ पैसा आज तक गरीब महिलाओं को नहीं मिल पाया। महिलाएं सुबह 9.30 बजे से लेकर 3 बजे तक अपना कार्य करते हैं। उसी में बर्तन धोना एवं झाड़ू पोछा करना। रोजाना लकड़ी वाले चूल्हे में खाना बनाने से उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ शासन एवं अधिकारियों के द्वारा मध्यान भोजन बनाने वाले गरीब महिलाओं के और देखने वाला कोई नहीं है फिर भी शासन के द्वारा नोबेल कोरोना के चलते गरीब महिलाओं के वेतन से 5 दिन के हिसाब से 200 उनके वेतन से काटा जा रहा है जो सरासर गलत है। मध्यान भोजन की महिलाओं ने यह भी बताया कि विगत 2 माह से खाना बनाने का काम बंद होने पर 1200 वेतन आना भी बंद हो चुका है गरीब रसोईया महिलाओं को कहीं से किसी भी प्रकार की नोवल कोरोना के चलते कोई सहयोग नहीं मिल पाया। फिर भी शासन के द्वारा उनके वेतन का पैसा 200 काटना गलत है।
महिलाओं ने बताया कि शासन के द्वारा विगत समय 1200 रुपए मासिक वेतन मिलता है जिसमें 300 बढ़ाकर महिलाओं को 1500 रुपए वेतन मिलना था जोकि शासन के द्वारा बढ़ा हुआ पैसा आज तक गरीब महिलाओं को नहीं मिल पाया। महिलाएं सुबह 9.30 बजे से लेकर 3 बजे तक अपना कार्य करते हैं। उसी में बर्तन धोना एवं झाड़ू पोछा करना। रोजाना लकड़ी वाले चूल्हे में खाना बनाने से उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ शासन एवं अधिकारियों के द्वारा मध्यान भोजन बनाने वाले गरीब महिलाओं के और देखने वाला कोई नहीं है फिर भी शासन के द्वारा नोबेल कोरोना के चलते गरीब महिलाओं के वेतन से 5 दिन के हिसाब से 200 उनके वेतन से काटा जा रहा है जो सरासर गलत है। मध्यान भोजन की महिलाओं ने यह भी बताया कि विगत 2 माह से खाना बनाने का काम बंद होने पर 1200 वेतन आना भी बंद हो चुका है गरीब रसोईया महिलाओं को कहीं से किसी भी प्रकार की नोवल कोरोना के चलते कोई सहयोग नहीं मिल पाया। फिर भी शासन के द्वारा उनके वेतन का पैसा 200 काटना गलत है।