scriptसीएम राहत कोष के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोईयों के वेतन से काटे गए 200 रूपए | 200 rupees deducted from the salary of the cooks preparing mid-day mea | Patrika News

सीएम राहत कोष के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोईयों के वेतन से काटे गए 200 रूपए

locationराजनंदगांवPublished: May 27, 2020 05:51:02 am

Submitted by:

Nakul Sinha

छग शासन ने मध्यान्ह भोजन बनाने वालों के 5 दिन के वेतन काटे

200 rupees deducted from the salary of the cooks preparing mid-day meal for CM relief fund

छग शासन ने मध्यान्ह भोजन बनाने वालों के 5 दिन के वेतन काटे

राजनांदगांव / टेडेसरा. आज पूरा देश कोरोना वायरस की चपेट में चल रहा है ऐसे ही स्थिति में छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा अलग-अलग विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का वेतन 1 दिन का छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा काटा जा रहा है जिससे कोरोना वायरस के चलते मुख्यमंत्री सहायता कोष में सहयोग राशि जमा हो सके। ऐसी स्थिति में सरकारी कर्मचारियों का वेतन शासन के द्वारा काटा जा रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ शासन ने यहां तक कि गरीब महिलाओं से संबंधित मध्यान भोजन बनाने वाले रसोइयों को भी नहीं बख्शा। मध्यान्ह भोजन रसोइयों को महीने में 1200 रूपए वेतन 1 दिन का 40 के हिसाब से दिया जाता है लेकिन गरीब महिलाओं से 5 दिनों का वेतन सीएम सहायता कोष के लिए 200 वेतन से काटा जा रहा है जबकि यह सरासर गलत है। मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों ने बताया कि हम लोग 40 के हिसाब से महीने में 1200 रुपए का वेतन मिलता है जिससे गुजर-बसर कर पाना भी मुश्किल है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा पिछले बार मध्यान्ह भोजन और सुजुका 300 मानदेय बढ़ाया गया था जो कि आज तक नहीं मिल पाया है।
अधिकारियों को एक दिन और मजदूरों का 5 दिन का वेतन काटना गलत
मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला मंजू साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के उच्च अधिकारी कर्मचारियों का वेतन ७0000 से ८0000 रुपए होने के बाद भी 1 दिन का ही वेतन काटा जा रहा है जबकि गरीब महिलाओं का 5 दिन का वेतन काटते हुए 200 काट दिया गया जो कि सरासर गलत है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 300 बढ़ोतरी किया गया वेतन आज तक गरीब महिलाओं को नसीब नहीं हुआ इस बात को कहने के लिए ना तो अधिकारी ध्यान दे पाते हैं और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण इस ओर ध्यान देते हैं।
बढ़ा हुआ मानदेय अब तक अप्राप्त
महिलाओं ने बताया कि शासन के द्वारा विगत समय 1200 रुपए मासिक वेतन मिलता है जिसमें 300 बढ़ाकर महिलाओं को 1500 रुपए वेतन मिलना था जोकि शासन के द्वारा बढ़ा हुआ पैसा आज तक गरीब महिलाओं को नहीं मिल पाया। महिलाएं सुबह 9.30 बजे से लेकर 3 बजे तक अपना कार्य करते हैं। उसी में बर्तन धोना एवं झाड़ू पोछा करना। रोजाना लकड़ी वाले चूल्हे में खाना बनाने से उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ शासन एवं अधिकारियों के द्वारा मध्यान भोजन बनाने वाले गरीब महिलाओं के और देखने वाला कोई नहीं है फिर भी शासन के द्वारा नोबेल कोरोना के चलते गरीब महिलाओं के वेतन से 5 दिन के हिसाब से 200 उनके वेतन से काटा जा रहा है जो सरासर गलत है। मध्यान भोजन की महिलाओं ने यह भी बताया कि विगत 2 माह से खाना बनाने का काम बंद होने पर 1200 वेतन आना भी बंद हो चुका है गरीब रसोईया महिलाओं को कहीं से किसी भी प्रकार की नोवल कोरोना के चलते कोई सहयोग नहीं मिल पाया। फिर भी शासन के द्वारा उनके वेतन का पैसा 200 काटना गलत है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो