मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर से मोटर साइकिल, साइकिल और वार्डों से मोबाइल व अन्य सामान चोरी होना आम बात हो गया है। इसमें अस्पताल के सामान भी होते हैं, जो चोरी चले जाते हैं। हाल ही में पिछले दिनों कन्हारपुरी की एक महिला सरस्वती साहू का थैला मुख्य गेट से गायब हो गया। महिला अपनी बच्ची के इलाज के लिए ऑटो से अस्पताल आई। ऑटो से अपना थैला लेकर उतरी ऑटो वाले को पैसे देकर वह अस्पताल में दाखिल हुई। इतने में ख्याल आया कि वह अपना बैग मुख्य गेट के बाहर ऑटो के पास भूल गई। तीन मिनट के अंतराल में वह पलटी तो बैग गायब था। उनसे बताया कि बैग में कुछ जेवर और करीब १० हजार रुपए थे। इसकी शिकायत जब उन्होंने चौकी में की तो फुटेज देखने के लिए अस्पताल प्रबंधन को आवेदन करने की बात कह दी गई। तीन दिन चक्कर काटने के बाद फुटेज देखा गया, लेकिन अब तक पुलिस बैग को उठाने वाले तक नहीं पहुंच पाई है।
रोजाना रहती है भीड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ५०० बिस्तर है। इसके अलावा २०० बिस्तर का मातृ-शिशु अस्पताल है। रोजाना ७ से ८ सौ ओपीडी मरीज आते हैं। इसके अलावा यहां डाक्टर, स्टाफ नर्स, मेडिकल की पढ़ाई करने वाले कॉलेज स्टूडेंट और नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी आते हैं। भीड़भाड़ वाला एरिया होने के कारण असामाजिक तत्व के लोग यहां सक्रिय रहते हैं।
सिक्योरिटी के नाम पर फूंक रहे लाखों मेडिकल कॉलेज अस्पताल में २४ घंटे सिक्योरिटी गार्ड की सेवा उपलब्ध होते हैं। इनमें महिला पुरुष दोनों शामिल हैं, जो अस्पताल परिसर से लेकर वार्डों में तैनात होते हैं। सिक्योरिटी गार्ड उपलब्ध कराने वाली कंपनी को शासन की ओर से हर महीने लाखों रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है। इसके बाद भी यहां लोग व उनके सामान सुरक्षित नहीं है।
थाने में जाकर करनी पड़ती है शिकायत
अस्पताल में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौकी संचालित है, लेकिन यदि मरीज या परिजन सहित अस्पताल स्टाफ किसी प्रकार की कोई शिकायत लेकर यहां पहुंचे तो सीधे तौर उन्हें यहां न्याय नहीं मिल पाता। लोगों को लिखित में शिकायत करने के लिए बसंतपुर थाने भेज दिया जाता है। इसके बाद आपकी शिकायत पर कब जांच होगी, न्याय मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस वजह से लोग अपने साथ यहां होने वाली घटना को अपनी किस्मत मानकर शांत बैठ जाते हैं।
अस्पताल में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौकी संचालित है, लेकिन यदि मरीज या परिजन सहित अस्पताल स्टाफ किसी प्रकार की कोई शिकायत लेकर यहां पहुंचे तो सीधे तौर उन्हें यहां न्याय नहीं मिल पाता। लोगों को लिखित में शिकायत करने के लिए बसंतपुर थाने भेज दिया जाता है। इसके बाद आपकी शिकायत पर कब जांच होगी, न्याय मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस वजह से लोग अपने साथ यहां होने वाली घटना को अपनी किस्मत मानकर शांत बैठ जाते हैं।