खैरागढ़ ब्लाक के महाराष्ट्र और मप्र की सीमा छोर से सटे इलाकों मुढ़ीपार, गातापार जंगल, देवरी, चिचका, मुंहडबरी, गातापार नाका, लक्षणा, मलैदा भावे सहित अन्य सीमावर्ती इलाकों में टिड्डा दल के घूसने की आश्ंाका जताई गई थी। मप्र सीमा से सटे इन इलाकों में एक दिन पहले ही पूरी तैयारी कर दिशा निर्देश जारी किए गए थे। पंचायत सचिवों के साथ-साथ इलाके में कृषि विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इलाके के किसानों और ग्रामीणों को भी इससे निपटान सहित बचाव के लिए तैयार रहने कहा गया है।
घने जंगल को पार करने लगता है दिन शुक्रवार को पूरा इलाका एलर्ट रहा लेकिन सीमा क्षेत्रों में घने जंगलों के कारण टिड्डा दल शुक्रवार को इलाके में नही पहुंच पाया। जानकारों का मानना है कि घने जंगल को पार करने में ही टिड्डों को एक दिन से अधिक का समय लग सकता है। इसके चलते शनिवार और रविवार को भी इससे निपटनें की तैयारी रखी गई है। दक्षिण पश्चिम हवाओं के आधार पर इसके लिए ब्लाक के संक्रमित हो सकने वाले इलाकों को तैयार रखा गया है।
बचाव के तरीके निपटने की जानकारी दी टिड्डा दल के संभावित हमले से फसलों को बचानें और इससे निपटनें के तरीको की जानकारी किसानों सहित कर्मचारियों को दी गई थी। टिड्डा की पहचाप किस तरह की जाए इससे कैसे बचा जाए इसके बारे में किसानों को स्पष्ट चेताया गया। टिड्डा एक बार में ही फसल को पूरी तरह नष्ट कर सकता है। इनकी पहचान करनें के तरीके के साथ साथ खेत खलिहानों में इसकी उपस्थिति जानने के तरीके भी बताए गए है।
जानकारी भी दी गई इसमें प्राकृतिक उपचार में धुआं करने, परपंरागत उपायों में ध्वनिविस्तारक यंत्रो का उपयोग, पटाखे फोडऩे, कल्टीवेटर और रोटावेटर चलाकर अंडो को नष्ट करने, रासायनिक उपचारों में स्प्रेयर से कीटनाशकों का छिड़काव और फसलों को टिड्डा से बचाने दवाओं के नाम भी जारी किए गए है। आंशिक हमले से निपटने शोर मचाने और फलेम थ्रोवर के इस्तेमाल की जानकारी भी दी गई है।