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पापी पेट की भूख, यहां राशन के लिए हर महीने बैगा आदिवासी जान जोखिम में डाल करते हैं जंगल पार

locationराजनंदगांवPublished: Nov 27, 2017 11:16:28 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा से लगे बैगाओं के गांव सिंगबोरा से हर माह नियत तारीख को कांवर यात्रा निकलती है।

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रोहित देवांगन@राजनांदगांव/गंडई-पंडरिया. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा से लगे बैगाओं के गांव सिंगबोरा से हर माह नियत तारीख को कांवर यात्रा निकलती है। यह यात्रा बाबा धाम या शिवमंदिर के लिए नहीं होती, बल्कि पेट की भूख मिटाने राशन लाने के लिए होती है।
छुईखदान ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोपरो के आश्रित ग्राम सिंगबोरा के बैगा आदिवासी गांव से 12 किमी दूर उचित मूल्य की दुकान से सरकारी राशन लेने के लिए समूह में कांवर लेकर निकलते हैं। रास्ता जंगली है। इसलिए खतरा भी साथ-साथ ही चलता है।
आदिवासी इलाकों में सरकार की खास पहल के बावजूद कई ऐसे गांव रह गए हैं, जहां सड़क नहीं होने की वजह से विकास कहीं ठहरा हुआ लगता है। यहां बैगा आदिवासियों को पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है।
ग्रामीण सूत्रों का मानना है कि इस गांव में अब तक प्रशासन ने दस्तक नहीं दी है। जानकारी अनुसार गांव तक पहुंचने के लिए सड़क के नहीं होने के कारण बैगा आदिवासियों को कई नालों को पार करने के बाद वहां जंगली रास्ते से गांव पहुंचना पड़ता है। गांव पहुंचने के पहले उन्हें दलदल और गड्ढों, चट्टानों को भी पार करना पड़ता है।
सड़क नहीं होने से ग्रामीण पगडंडी का उपयोग करते हैं। बारिश के दिनों में जंगली रास्ता बंद होने से गांव से बाहर नहीं आ सकते। सड़क पर साइकिल और मोटर साइकिल नहीं चलता, जिससे ग्रामीण चावल सहित अन्य समान कांवर या सिर पर रखकर लाते हंै। इस गांव का राशन दुकान कोपरो में है जो गांव से करीब 12 किमी दूर है।
कई दफे मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। सड़क नहीं होने से संजीवनी 108 गांव तक नहीं पहुंच पाती है। लोगों को 30 किमी सफर तय कर साल्हेवारा सीएससी अस्पताल जाना पड़ता है। ग्राम पंचायत कोपरो में सात साल पहले अस्पताल बनना था, जो अब तक नहीं बना है। बैगा आदिवासी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित, गांव में ही दम तोड़ देते हैं।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर सुन्दर वनांचल में बसे तकरीबन एक दर्जन से अधिक गांव ग्राम चोभर, बगारझोला, कोपरो, भठली, ग्वालगुंडी, सिंगबोरा, नवापारा, कल्लेपानी, गाताभर्री, संमुदपानी, टाटीधार, पंडरीपानी, झिलमिली, जहां आदिवासी के अलावा बैगा आदिवासी लोग निवास करते हैं। वह बैगा आदिवासी लोग स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रह जाते हैं।
उन्हे इलाज के लिए ग्राम पंचायत कोपरो से 15 किमी और सिंगबोरा गांव से अस्पताल की दूरी लगभग 27 किमी दूरी सफर कर साल्हेवारा अस्पताल जाना पड़ता है। गंभीर बिमारी होने पर 55 किमी ब्लाक मुख्यालय छुईखदान या जिला मुख्यालय राजनांदगांव अस्पताल के लिए 125 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है। सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं को हर माह दूरी तय कर अस्पताल जाना पड़ता है।
गांव में नहीं पहुंच है बिजली, अंधेरे में कटती है रात
सिंगबोरा के रामलाल, सवनूराम नेरसिह अंकलहा कोपरो के दिनेश बोरकर ने बताया कि गांव को रोशन करने सोलर सिस्टम लगाया था, जो रात में दो घंटा रोशनी देता था वो भी मरम्मत के अभाव में वर्तमान में बंद है। बिजली नहीं होने से रात अंधेरे में कट रही है। यही नहीं गांव में पीने के उपयोगी पानी नहीं है। हैंडपंप है, लेकिन जल स्तर नीचे चले जाने से यह बंद पड़ जाता है।
इसके बाद लोगों को नदी के दूषित पानी से प्यास बुझाना पड़ता है। किसी की तबियत खराब होने पर कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। जनपद उपाध्यक्ष छुईखदान खम्हन ताम्रकार ने बताया कि चोभर बगारझोला कोपरो भठेली तक पक्की सड़क है। इन वनांचल क्षेत्रों को धयान में रखकर शासन से साल्हेवारा अस्पताल को संजीवनी और महतारी सुविधा प्रारम्भ करवाया। सिंगबोरा में सड़क की सुविधा नहीं है।
पक्की रोड नहीं होने के कारण शासन की संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस नहीं पहुंच पाती। कोपरो में राशन दुकान है, जहां से सींगबोरा के बैगा ग्रामीण लगभग 12 किलो मीटर सफर कर राशन लाते हंै। सड़क के लिए एक माह पहले कलक्टर को पत्र लिखा था। मनरेगा के तहत कार्य कराए जाने की बात कही गई थी। बैगा परिवारों के लिए प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत बिजली की वयवस्था की जाएगी।
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बैगा परिवारों के लिए कुआं खनन कर हर समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। खैरागढ़ विधायक गिरवर जंघेल ने बताया कि साल्हेवारा क्षेत्र के सिंगबोरा के ग्रामीणों की समस्या के संबंध में मैंने कई बार विधानसभा में मंत्री के समक्ष मुख्यमंत्री, प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना से बनाने की मांग रखी थी, लेकिन आज तक इस ओर कोई पहल नहीं हुई।
19 दिसंबर को फिर से विधानसभा सत्र में इस संबंध में मामला उठाया जाएगा। हैंडपंप के लिए पीएचई के अधिकारी को तत्काल निर्देशित किया जाएगा। प्रयास जारी है। एसडीएम गंडई चित्रकांत चाली ठाकुर ने बताया कि ग्राम सिंगबोरा में ग्रामीणों की जो समस्या है, जिसमें सड़क, चिकित्सा सुविधा, पेयजल और विद्युत सभी को गंभीरता से धयान में रखते हुए जल्द ही दुरुस्त कराने प्रयास किया जाएगा।

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