2016 में रियो में हुए ओलंपिक (rio olympic 2016) में राजनांदगांव की रेणुका यादव भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) का हिस्सा थी। इस उपलब्धि के साथ रेणुका यादव छत्तीसगढ़ की पहली ओलंपियन बनने का गौरव हासिल कर चुकी है। रियो में रेणुका ने अपने बेहतर खेल का प्रदर्शन भी किया और इसकी बदौलत उसे पुरस्कार देने की घोषणाएं भी हुई, लेकिन ज्यादातर घोषणाएं धरातल पर नहीं उतर पाईं। राजनांदगांव के विधायक और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुरूम के मैदान से घास के मैदान में हॉकी देखने और खेलने वाली इस नर्सरी में अंतरराष्ट्रीय मापदंड का एस्ट्रोटर्फ मैदान बनाकर बरसों से दिखाया जा रहा ख्वाब तो पूरा कर दिया, लेकिन इस खेल के जरिए जिसने अंतरराष्ट्रीय पटल पर शहर का नाम रोशन किया, उसके हाथ अब भी खाली हैं।
छत्तीसगढ़ की पहली महिला ओलंपियन राजनांदगांव की रेणुका यादव अब भी अपने घर के लिए जद्दोजहद कर रही है और उसे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। बेहद गरीब परिवार की रेणुका के पिता मोतीलाल यादव दूध बेचकर अपना घर चलाते हैं। उनका परिवार सौ साल से ज्यादा समय से कामठी लाईन के पास राजगामी संपदा न्यास की जमीन पर निवास कर रहे हैं। खपरैल वाला कच्चा घर टूटा तो सामने करीब छह सौ वर्गफीट में पक्का मकान बनाकर रहने लगे। यह मकान भी रेणुका की रेलवे में नौकरी लगने के बाद और इनाम की राशि से बना।
रेणुका कहती है कि वो बेहतर खेल के जरिए अपने शहर, अपने देश का नाम ऊंचा करने में पूरी शिद्दत से लगी हुई है, बस एक ही चिंता है, घर की, बस उसका यह काम हो जाए। एक तरफ छत्तीसगढ़ में रेणुका को अपने वाजिब हक के लिए तरसना पड़ रहा है तो दूसरी ओर दूसरे प्रदेशों की सरकारों ने अपने राज्य से ओलंपिक में गए खिलाडिय़ों को हाथों हाथ लिया है और उन पर पुरस्कारों की झड़ी लगा दी है। हरियाणा जैसे राज्यों ने तो करीब दस एकड़ जमीन तक दी है और इधर रेणुका को एक घर के लिए भटकना पड़ रहा है।
यह सुखद संयोग रहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का पहला एस्ट्रोटर्फ मैदान राजनांदगांव में बना और राजनांदगांव ने ही पहला ओलंपियन प्रदेश को दिया। हालांकि ओलंपियन रेणुका यादव के खेल में असली निखार मध्यप्रदेश के ग्वालियर अकादमी में आया और वहीं से उसने ओलंपिक तक का सफर तय किया लेकिन राजनांदगांव में अपने कोच भूषण साव से रेणुका ने हॉकी का ककहरा सीखा था और उसके रेणुका से ऑलंपियन रेणुका होने पर पूरे शहर ने गर्व महसूस किया था।
रेणुका यादव की मांग है कि जिस तरह दूसरे राज्यों के ओलंपियनों को जमीन और मकान सरकार की ओर से मिलते हैं उसी तरह उसे भी यह मिले। अपने घर के लिए उसने राज्य की पिछली सरकार से लेकर उस दौर के विपक्ष के नेताओं के खूब चक्कर काटे लेकिन रेणुका को कहीं से मदद नहीं मिली। (National sports Day 2019)