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CG Election 2018: लोकतंत्र के उत्सव में खुज्जी विधानसभा गा रही है जल संकट का शोकगीत

locationराजनंदगांवPublished: Oct 17, 2018 06:00:35 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

यहां के बाशिंदो के आय का मुख्य स्त्रोत खेती किसानी है, लेकिन यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता। यही क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।

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Proposal PHE not accepted

गोविंद साहू/खुज्जी. यहां के बाशिंदो के आय का मुख्य स्त्रोत खेती किसानी है, लेकिन यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता। यही कारण है कि मानसून के समय एक फसल लेने के बाद लोगों के पास काम नहीं होता। फिर रोजगार और रोटी की तलाश में पलायन कर जाते हैं और पूरा गांव खाली हो जाता है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी और रोजगार देने की दिशा में मौजूदा सरकार ने कोई काम नहीं किया। इस मुद्दे को वर्तमान कांगे्रस के विधायक भोला राम साहू भी मजबूती से नहीं रख पाए। बेरोजगारी दूर करने के मामले में फेल सरकार व विधायक के खिलाफ लोगों में रोष और असंतुष्टि है। यही क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।

उज्ज्वला बनी जी का जंजाल
हम जिला मुख्यालय से निकलकर डोंगरगांव ब्लाक मुख्यालय होते हुए खुज्जी क्षेत्र के कुमर्दा गांव पहुंचे। यहां बस स्टैंड के ठीक सामने पान ठेले में तीन-चार लोग चर्चा करते दिखे। हमें अपनी ओर आते देख वे थोड़े सकुचाए। लेकिन परिचय देते ही वे अपनी और क्षेत्र की समस्याओं को खुलकर रखे। 42 वर्षीय किसान प्रभुराम, कौशल यादव, छबिलाल साहू, हेमंत साहू आदि ने बताया कि क्षेत्र के कुछ किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिला। उज्जवला के तहत गैस कनेक्शन तो मिल गया, लेकिन महंगाई के कारण रिफिलिंग नहीं करा पाने के कारण यह योजना भी ग्रामीण क्षेत्र के लिए फेल साबित हो गया है।

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किसानों को पानी की आस
घुपसाल में हमने खूबचंद भंडारी, हिमेंद्र हल्बा, गोपाल तारम से हमने चुनावी माहौल के बारे में पूछा। वे झट से बोले यहां हम अपने खेती-किसानी में व्यस्त हैं। प्रत्याशियों की घोषणा ही नहीं हुई है, तो गांवों में क्या चुनावी माहौल होगा? यह सब पार्टी, प्रत्याशी और मीडिया के लिए माहौल होगा। हम तो दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर खेतों में काम करना पड़ता है। क्षेत्र की प्रमुख समस्या के बारे में उन्होंने बताया कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल जाए तो बड़ी उपलब्धि होगी। इससे बेरोजगारी भी थोड़ी कम होगी। एक फसल लेने के बाद पूरा गांव रोजी-रोटी की तलाश में बड़े शहरों की ओर निकल पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के 8 से 9 पंचायत के किसानों को बीमा बोनस भी नहीं मिल पाया है।

छोटी उम्मीदें लम्बा वक्त
इधर, मोहड़ जलाशय के पानी को खरखरा में छोड़े जाने का भी विरोध सामने आया। इस पानी को क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए। क्षेत्र के 70 गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने के कारण एक फसलीय उत्पादन करते हैं। खुज्जी-उमरवाही मार्ग 15 सालों में नहीं पाई। इससे क्षेत्रवासियों में नाराजगी है। शासन स्तर पर सडक़ निर्माण की स्वीकृति की बात कही जाती है, लेकिन यह सिर्फ लोगों को शांत कराने का झूठा आश्वासन ही साबित हुआ है। उमरवाही व कुमर्दा को विकासखंड बनाने की मांग 10 सालों से की जा रही है। विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन गलत होने का खामियाजा लोग भुगत रहे। उमरवाही में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, जहां 40-45 गांव के लोग आते हैं, ऐेसे में इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिलना चाहिए। इन सभी मुद्दों को क्षेत्र का विधायक कभी नहीं उठा पाया। इससे लोगों में विधायक की कार्यप्रणाली को लेकर बेहद नाराजगी है।

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