छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने वर्ष 2017 में एक विज्ञापन निकाला था। इस विज्ञापन में बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 का जिक्र करते हुए निमय और शर्तें तय की गई थीं। उस विज्ञापन में अध्यक्ष पद के लिए स्नातक तक की शिक्षा होने के साथ ही 65 वर्ष की आयु और बालक कल्याण के क्षेत्र में अनुभव के साथ ही कई शर्तें रखी गईं थीं।
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त होने के लिए अधिनियम के अनुसार अधिकतम आयु 65 वर्ष होनी चाहिए। अधिनियम यह भी कहता है कि अध्यक्ष पद पर आसीन होने वाले को बालकों के कल्याण के संवर्धन की दिशा में उत्कृष्ट कार्य क.ा अनुभव हो। नियुक्ति को लेकर इसलिए सवाल
विज्ञापन नहीं निकाला गया जबकि विज्ञापन निकालकर आए आवेदनों के आधार पर चयन किया जाना चाहिए।
सरकार ने जिसे अध्यक्ष बनाया है उसकी शैक्षणिक योग्यता पद के योग्य नहीं है।
अध्यक्ष पद के लिए अनुभव नहीं है।
अधिनियम में उल्लिखित आयु से अधिक उम्र है।
छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग के प्रथम अध्यक्ष और वर्तमान में राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के सदस्य यशवंत जैन का कहना है कि आयोग में नियुक्ति के लिए उम्र और शैक्षणिक योग्यता के नियम का पालन जरुरी है। साथ ही विज्ञापन निकालकर महिला एवं बाल विकास मंत्री की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा चयन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने राजनीतिक तौर पर जरूर नाम की घोषणा की है लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग से ये आदेश नहीं जारी हो सकता। उन्होंने कहा कि राजनीतिक व्यक्ति की नियुक्ति के लिए भी प्रक्रिया का पालन जरुरी है।
राज्य में बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष रहीं प्रभा दुबे का कहना है कि आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती हैं, ऐसे में शैक्षणिक योग्यता जरुरी है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की उम्र 65 वर्ष से कम होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पद में रहते हुए भी यदि किसी की उम्र 65 वर्ष पूरी होती है तो उसे पद छोडऩा पड़ता है। दुबे ने कहा कि संवैधानिक आयोग में नियुक्ति के लिए अधिनियम का पालन करते हुए चयन किया जाना चाहिए।
आयोग की अध्यक्ष रहीं शताब्दी पांडेय ने कहा कि आयोग के संचालन और इसमें नियुक्तियों के लिए बकायदा अधिनियम बना हुआ है और इसमें नियुक्ति के लिए इसका पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष और सदस्यों के लिए वांछित उम्र और शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुभव का पालन कर नियुक्ति होने पर ही आयोग सुचारु कार्य कर सकेगा।
आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुईं मोहला-मानपुर की पूर्व विधायक तेजकुंवर नेताम ने नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों का आभार जताया है। आयोग में नियुक्ति के लिए शैक्षणिक योग्यता और उम्र के नियम को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सब कुछ समझकर नियुक्त किया है। उनके निर्देशन में काम करेंगे।
छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष बनाईं गईं तेजकुंवर नेताम 2013 में राजनांदगांव जिले की मोहला-मानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं। उस वक्त चुनाव लडऩे के दौरान उन्होंने चुनाव आयोग में जो जानकारी दी थी उसके अनुसार उनकी आयु 58 वर्ष थी। यानि इस वक्त उनकी आयु 66 वर्ष है। चुनाव आयोग को उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास बताई थी। नेताम ने अपने प्रोफाइल में कृषि कार्य और गृहणी होने का उल्लेख किया है। बाल कल्याण के क्षेत्र में अनुभव का कोई जिक्र नहीं है।