सर्वाधिक आठ बार राजपरिवार ने जमाया है कब्जा
खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में दो बार उप चुनाव को मिलाकर कुल 15 बार चुनाव हुए हैं। इसमें से सर्वाधिक आठ बार यह सीट खैरागढ़ राजपरिवार के पास रही है। एक बार राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह, चार बार उनकी बहू रश्मिदेवी सिंह और तीन बार देवव्रत सिंह यहां से विधायक रहे हैं। देवव्रत सिंह यदि यह चुनाव जीतते हैं तो वे अपनी मां की बराबरी कर लेंगे।
ये भी बना सकते हैं रिकार्ड
भाजपा के कोमल जंघेल जीत के साथ पहले ऐसे व्यक्ति हो जाएंगे जो खैरागढ़ राजपरिवार के बाहर के होंगे जो तीन बार विधायक बनेंगे। वे तीन बार के विधायक देवव्रत सिंह की बराबरी कर लेंगे। कांग्रेस के गिरवर जंघेल भी दो जीत का रिकार्ड बनाएंगे। गिरवर और कोमल की जीत से खैरागढ़ में लोधी समाज और मजबूत होगा।
वर्ष विधायक
1957 – ऋतुपर्ण किशोर दास (कांग्रेस)
1962 – ज्ञानेन्द्र सिंह (कांग्रेस)
1967 – वीरेन्द्र बहादुर सिंह (कांग्रेस)
1972 – विजयलाल ओसवाल (कांग्रेस)
1977 – माणिक गुप्ता (जनता पार्टी)
1980 – रश्मिदेवी सिंह (कांग्रेस)
1985 – रश्मिदेवी सिंह (कांग्रेस)
1990 – रश्मिदेवी सिंह (कांग्रेस)
1993 – रश्मिदेवी सिंह (कांग्रेस)
1995 – (उप चुनाव) – देवव्रत सिंह (कांग्रेस)
1998 – देवव्रत सिंह (कांग्रेस)
2003 – देवव्रत सिंह (कांग्रेस)
2006 – (उप चुनाव) – कोमल जंघेल (भाजपा)
2008 – कोमल जंघेल (भाजपा)
2013 – गिरवर जंघेल (कांग्रेस)