यहां सप्लाई के नाम पर जीएस कमीशन एजेंंट राजनांदगांव, रेनाल्ड इन्टरप्राइजेस राजनांदगांव, दुर्गा टेडर्स राजनांदगांव, केडीएस इन्टर प्रायजेस राजनांदगांव द्वारा सामग्री सप्लाई व मिटटी सप्लाई के नाम पर फर्जी बिल लगाकर कई करोड़ों रूपये वाणिज्य कर नहीं पटाने वाले ठेकेदार के समस्त बिल, व्हाउचर को सोमवार को वाणिज्य कर के 16 अधिकारियों की टीम ने वनमंडलाधिकारी राजनादंगांव के कार्यालय में दबिश देकर कार्रवाई कर उपरोक्त सभी फर्मो के बिल, व्हाउचर जब्त कर अपने साथ ले गए है।
इस मामले में संबंधित मटेरियल सप्लायर ने विभाग में फर्जी बिल देने साथ ही वाणिज्य कर की चोरी कर वहां भी फर्जी दस्तावेज के सहारे माल को सप्लाई होना बताया गया तथा कुछ दस्तावेजों में माल ही नहीं देना बताया। इस संबंध में यह भी बताया जाता है कि वाणिज्य कर में प्रशमन प्रमाण पत्र जारी करने के बाद फिर इसी विभाग द्वारा प्रमाणपत्र जारी नहीं करना बताया गया तथा निरस्तीकरण का भी उल्लेख किया गया किंतु निरस्तीकरण के प्रमाणपत्र नहीं दिए गए। बताया जाता है कि इन प्रमाण पत्रों में वाणिज्य कर द्वारा लगाए गए सील ठप्पे तथा संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर भी संदेह के दायरे में है।
गौरतलब हो कि वन विभाग का प्रदेश भर में सबसे बडा बिल घोटाला राजनांदगांव जिले में रहा है जहां सामग्री सप्लाई के नाम पर एक ही व्यक्ति द्वारा चार फर्म के नाम अलग अलग निविदा डालकर करोडों रूपये के फर्जी बिल लगाकर विभाग के उच्च अधिकारियों सहित अन्य स्टाफ से मिली भगत कर करोडो रूपये के फर्जी बिल लगाकर शासकीय राशि का आहरण कर ठेकेदार सहित वनकर्मी हिस्सेदार बने। बताया जाता है कि उक्त ठेकेदार वन मंडल राजनांदगांव, वन मंडल खैरागढ, वन मंडल कवर्धा, वन मंडल दुर्ग एवं बालोद में संबंधित ठेकेदार द्वारा लगभग 25 करोड रू.का फर्जी बिल लगाकर पैसा आहरण कर बंदरबांट किया गया। जिसका वाणिज्य कर भी जमा नहीं किया गया तथा उक्त ठेकेदार द्वारा सबसे अधिक घपला खैरागढ एवं राजनांदगांव में बिना मटेरियल सप्लाई किये ही इन मंडलो द्वारा करोडो का भुगतान ठेकेदार को किया गया जिसमें कई डीएफओ, एसडीओ व वन परिक्षेत्र अधिकारी की संलिप्तता से फर्जी चेक काटे गये है। अधिकारी सहित डीएफओ, एसडीओ, रेंजर , डिप्टी रेंजर के काले कारनामें सामने आएंगे।