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राजनंदगांव

मुख्यमंत्री जी, यहां ढाई हजार सीटों पर नहीं हुई गरीब बच्चों की भर्ती, कोई जिम्मेदार भी नहीं

आरटीई में ढाई हजार सीट्स रिक्त, मुखिया से होगी मामले की शिकायत, नोडल अफसरों ने हार्ड कॉपी मंगवाकर क्या जांचे, कैसे रिजेक्ट हो गई १९३७ फार्म, इन सवालों का शिक्षा विभाग के पास जवाब नहीं

राजनंदगांवJul 02, 2019 / 08:26 pm

Govind Sahu

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मुख्यमंत्री जी, यहां ढाई हजार सीटों पर नहीं हुई गरीब बच्चों की भर्ती, कोई जिम्मेदार भी नहीं

राजनांदगांव.
शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों की भर्ती के लिए पहले पालकों से पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन फार्म मंगवाए गए। इसके बाद हार्ड कॉपी नोडलों के पास जमा कराया गया। नोडल अफसरों ने फार्म को चेक करने के बाद वेब पोर्टल में अपलोड किया। तब तक फार्म की स्थिति सही थी। पहली लॉटरी के समय तक रिजेक्ट हुए फार्मों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। 2 जून को फिर लॉटरी निकाली गई। इस समय तक जो फार्म सही था, उसे ही तो पोर्टल में लॉटरी के लिए पात्र माना गया होगा, तो फिर लॉटरी प्रक्रिया हो जाने के बाद १९३७ आवेदन कैसे रिजेक्ट हो गए। इन आवेदनों को पहले रिजेक्ट बताकर दूसरे बच्चों के आवेदन को लॉटरी के लिए शामिल क्यों नहीं किया गया। यह जांच का विषय है।

छग पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चो के भर्ती में खुलेआम गड़बड़ी की गई है। गरीब बच्चों को जान-बूझकर नि:शुल्क शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। सैकड़ों सीटें रिक्त होने के बावजूद गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, जिसका सीधा लाभ निजी स्कूलों को मिल रहा है। गरीब बच्चों के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है और शिक्षा विभाग अपनी गलतियों को छिपाने में लगा हुआ है।

पॉल का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून का जिले में कड़ाई से पालन करवाने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की होती है। आरटीई के अंतर्गत हर आरक्षित सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश दिलवाने की जिम्मेदारी डीईओ की है। पात्र गरीब बच्चें विगत तीन महीनों से नि:शुल्क शिक्षा पाने भटक रहे है, लेकिन अभी भी उन्हें स्कूल आबंटित नहीं किया गया है।
७२६ फार्म मिले डुप्लीकेट
जिले में निजी स्कूलों में आरटीई के तहत गरीब बच्चों के लिए ५३२८ सीट थी, इसके एवज में २८७१ सीट में प्रवेश दिया गया है। २४५७ सीट अब रिक्त रह गई है। १९३७ फार्म को रिजेक्ट बताया गया है, तो ७२६ फार्म डुप्लीकेट होने के कारण रिजेक्ट हो गए। 387 पात्र आवेदनों को स्कूल आंबटित नहीं किया गया है।
सरकार से होगी शिकायत
गरीब पालक भी अब अपने बच्चों को पैसे देकर निजी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं। आरटीई में बरती गई लापरवाही की शिकायत राज्य के मुखिया भूपेश बघेल से की जाएगी। बघेल सरकार बुधवार को पहली बार जनदर्शन लगाकर लोगों की शिकायत और समस्या को सुनेंगे।

शिक्षा अधिकारी जीके मरकाम का कहना है कि पोर्टल में फार्म अपलोड कर दिया गया था, लेकिन पोर्टल की जांच में ही फार्म रिजेक्ट हुए है। इसमें मेनुअली कोई गलती नहीं हुई है। अब रिक्त सीटों पर आरटीई के तहत भर्ती नहीं हो सकती।
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