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बाल साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं यह चेतना का साधन है, अपितु भाषायी संस्कार भी है

locationराजनंदगांवPublished: Feb 26, 2020 11:40:26 am

Submitted by:

Nakul Sinha

दूधमोंगरा छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक समिति गंडई द्वारा 43 वर्षगांठ मनाया गया

Children's literature is not only a means of entertainment, it is a means of consciousness, but also a linguistic rite.

दूधमोंगरा छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक समिति गंडई द्वारा 43 वर्षगांठ मनाया गया

राजनांदगांव / गंडई-पंडरिया. छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के सौजन्य से दूधमोंगरा छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक समिति गंडई द्वारा अपने 43 वर्षगांठ के अवसर पर कवर्धा रोड स्थित स्थानीय यादव भवन में ‘छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य, परंपरा और विकासÓ विषय पर सार्थक व महत्तवपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन रविवार को किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. जीवन यदु मुख्य अतिथि और बलदाऊ राम साहू अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे।
साहित्य अंधेरे के आगे चलने वाली मशाल है
डॉ.जीवन यदु ने कहा कि ‘बाल साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं यह चेतना का साधन है।Ó बाल साहित्यकार बलदाऊ राम साहू ने बाल साहित्य को भाषायी संस्कार निरूपित किया। विशिष्ट वक्ता डॉ.गोरे लाल चंदेल ने कहा कि ‘साहित्य अंधेरे के आगे चलने वाली मशाल है।Ó दुर्ग के वरिष्ठ साहित्यकार मुकुंद कौशल ने कहा ‘बाल साहित्य बच्चों की आत्मा में उतरकर ही लिखा जाता है।Ó डॉ. बी रघु ने बाल साहित्य को संस्कारों से ओत- प्रोत होने की बात कही। बाल साहित्यकार विनय शरण सिंह ने पुरखों की रचनाओं को आगे लाने के लिए साहित्यकारों को प्रेरित किया।
गोष्ठी में 40 से ज्यादा कवियों व साहित्यकारों ने दी उपस्थिति
इस अवसर पर दूधमोंगरा के लोक कलाकार गौतम चंद जैन, द्वारिका यादव, सरस्वती निषाद, सुखियारिन मानिकपुरी व मनीराम विश्वकर्मा ने छत्तीसगढ़ी बालगीत प्रस्तुत तालियां बंटोरी। भोजनावकाश के बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें साकेत साहित्य परिषद सुरगी, पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा, प्रवाह साहित्य समिति डोंगरगढ़, भोरमदेव सृजन साहित्य मंच कबीरधाम और अंचल के लगभग 40 कवियों और साहित्यकारों ने सारगर्भित कविताओं का पाठ कर वातावरण को रसमय बना दिया।
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