जानकार सूत्रों के अनुसार किसी भी गांव या शहर में मोबाइल टावर स्थापित किए जाने के पूर्व स्थानीय निकाय, नगर पालिका निगम, नगर पंचायत, नगर निगम अथवा ग्राम पंचायतों से विधिवत नियमों की पूर्ति और निर्धारित दस्तावेजों के पूर्ति किए जाने के बाद सभी औपचारिकताओं को पूरी कर हरित नियमों के अनुसार जारी अनापत्ति एवं निर्माण कार्य के लिए आदेश जारी किए जाने के बाद ही मोबाइल टावर खड़ा किया जाना है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई निकाय के रूप में ग्राम पंचायत सबसे बड़ी इकाई मानी जाती है। इस लिहाज से सर्वप्रथम उक्त कंपनी को मोबाइल टावर लगाए जाने के लिए ग्राम पंचायत सलोनी में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाना था जिसके बाद ग्राम सभा व पंचायत प्रस्ताव में इस बात का विचार कर अनुमति पारित की जाती जबकि नियमों में मोबाइल टावर स्थापना के लिए पंचायत में पंजीयन शुल्क पच्चीस हजार रुपए जमा किया जाना था। इसके बाद ही अनुमति एवं निर्माण कार्य के लिए आदेश जैसे विषय पर चर्चा की जाती और समस्त औपचारिकताओं को विधिवत पूरा किया जाता। इसके बाद प्रतिवर्ष दस हजार रुपए उक्त संबंध में नवीनीकरण शुल्क जमा किए जाने का प्रावधान है जिसका विधिवत इकरार दोनों पक्षों में किया जाता है। परंतु इस तरह की किसी भी प्रकार की कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किए बगैर जिसमें विशेषकर ग्राम सभा का प्रस्ताव अति आवश्यक था को भी नहीं लिया गया और निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है तथा बहुत तेजी से ग्राउंड लेवल तक का निर्माण कार्य पूरा भी किया जा चुका है।
सूत्रों का कहना है कि जिओ कंपनी और व्यक्तिगत रूप से सरपंच के साथ सांठगांठ के चलते कंपनी के फॉर्मेट में सरपंच के हस्ताक्षर और मोहर को संपूर्ण औपचारिकता मानकर कंपनी ने अवैध रूप से निर्माण कार्य को चालू कर दिया है। जबकि इसी स्थल में आसपास विद्यालय भी संचालित है जिसके चलते लोगों में इस बात का भी आक्रोश है कि पंचायत और ग्राम सभा को विश्वास में लिए बगैर अकेले सरपंच द्वारा ऐसे अवैध और फर्जी निर्माण को आखिर क्यों शह दिया जा रहा है।
सरपंच ग्राम पंचायत सलोनी, राजकुमार संघारे ने कहा कि कुछ माह पहले शासकीय मोबाइल वितरण योजना के तहत कुछ ग्रामीणों व महिला समूहों द्वारा नेटवर्क नही मिलने की शिकायत प्राप्त हुई जिसके चलते मैंने टॉवर लगाने की अनुमति दी थी और मात्र फार्मेट में हस्ताक्षर किए थे। इस संबंध में पंचायत द्वारा प्रस्ताव कराकर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नही किया गया है। कंपनी द्वारा मांग पत्र या आवेदन आने पर पंचायत से प्रस्ताव कराकर विधिवत अनुमति दी जा सकती है।