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भ्रष्टाचार मुक्त देश, बेरोजगारों को रोजगार और सुरक्षित समाज के लिए बने कड़े कानून

locationराजनंदगांवPublished: Mar 17, 2019 08:05:55 pm

Submitted by:

Govind Sahu

‘पत्रिका’ द्वारा आयोजित स्वच्छ करें राजनीति कार्यक्रम में शामिल हुए शहर के समाजसेवी व प्रबुद्धजनों ने बेबाकी जनहित के मुद्दों को रखा

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भ्रष्टाचार मुक्त देश, बेरोजगारों को रोजगार और सुरक्षित समाज के लिए बने कड़े कानून

राजनांदगांव. लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। राजनांदगांव संसदीय सीट में दूसरे चरण में १८ अप्रैल को मतदान होना है। ऐसे में ‘पत्रिकाÓ की स्वच्छ करें राजनीति अभियान के तहत जुड़े शहर के चेंजमेकर्स व वालिटिंयर सहित प्रबुद्ध जनों से चर्चा की गई। सभी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्थानीय सहित देशहित के मुद्दों को बेबाकी से रखा। इसके अलावा देश में बढ़ती बेरोजगारी पर चिंता जाहिर की। भ्रष्टाचार से मुक्ति और देश में सुरक्षित समाज निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाने की जरूरत बताई गई।

राजनीति में पढ़े-लिखे लोगों को सामने आने की बात पर भी जोर दी गई। सभी ने एक स्वर में कहा कि देश सर्वोपरि है। चाहे कोई भी राजनीतिक पार्टी की सरकार बनती हो, देश की सुरक्षा, संप्रभुता बरकरार रहनी चाहिए। जनता की बुनियादी सुविधाओं और सुनियोजित ढंग से विकास हो तो बात बने। प्रबुद्धों ने कहा कि दागदार नेता संसद में चुनकर न आए इसका जनता को ख्याल रखना चाहिए। पत्रिका कार्यालय में रविवार शाम को आयोजित परिचर्चा में शहर के समाजसेवी व प्रबुद्ध शामिल हुए।

देश में बेरोजगारी और महंगाई पर काबू पाने सरकार के पास ठोस कार्ययोजना नहीं है। किसानों को राहत पहुंचाने योजना तो बनती लेकिन जमीन पर इसका अमल नहीं हो पाता, इसलिए किसानों की स्थिति सुधर नहीं पा रही है। अचानक नोटबंदी व जीएसटी ने देश के व्यापारी व आम लोगों की कमर तोड़ दी है। मंदिर-मस्जिद के मुद्दों से ज्यादा जरूरी है। महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा तभी देश का सर्वांगीण विकास होगा।
शारदा दिवारी, समाजसेवी
जनहित और लोकहित पर चुनावी मुद्दे होने चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य में लोग लूटे जा रहे हैं। आजादी के ७० साल बाद भी यदि जनता को मूलभूत सुविधाएं ही नहीं मिल पाई है, तो यह विचारणीय है। देश में बेराजगारी बससे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। छोटे व्यापारी उद्योग लगाने से डरे हुए हैं। जात, पात, धर्म से परे हटकर देशहित की सोच रखने वाली पार्टी को ही देश की बागडोर देने की जरूरत है। मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है।
अशोक फडऩवीस, समाजसेवी
हमारे देश को युवाओं का देश कहा जाता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि यहां के युवा बेरोजगारी की दंश झेल रहा है। इससे उबरने की जरूरत है। युवाओं को रोजगार मिलने से इनकी उर्जा सकारात्मक कार्यों में लगेगी। नहीं तो ये भटक जाएंगे। इस बड़ी समस्या को दूर करने देश में ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत है।
नागेश यदु, युवा

देश में बेरोजगारी और सुरक्षा ही प्रमुख मुद्दा है। इसके लिए सरकार को ठोस योजना और कड़े कानून बनाने की जरूरत है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था यहां सबसे बदहाल है। इसे सुधारने की जरूरत है।
भोला यदु, नागरिक
देश के विकास सहित अन्य योजनाओं पर खर्च होने वाले रुपए इस देश की जनता की ही है। ऐसे में हमें उन ईमानदार लोगों को चुनकर संसद में भेजने की जरूरत है, जो भाई-भतीजेवाद और निजी स्वार्थ से हटकर काम करने की सोच रखता हो।
तरविंदर सिंह रंधावा, नागरिक
देश में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है। इसके अलावा मुफ्तखोरी को भी बंद करनी चाहिए। ताकि युवा कर्मठ हो। युवाओं के लिए मुफ्त में बांटने वाली योजना लाने के बजाए रोजगार देने की जरूरत है, तभी नई चीजों की खोज और उत्पत्ति होगी।
दिवाकर शेंडे, नागरिक
समाज के किस वर्ग की क्या जरूरत है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसके अनुसार ही योजना बने और इसे अमल लाया जाए। इसके बाद इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी योजना का लाभ जरूरमंदों को ही मिले। दूसरा इसका लाभ उठाकर जरूरमंदों के हक पर डाका न डाल पाए इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
के हनुमंत राव, नागरिक
सरकार की योजनाओं को ईमानदारी से क्रियान्वित करने की जरूरत है। देश में सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय के मुद्दे को लेकर चुनाव लडऩे वाली पार्टी को ही चुनकर आना चाहिए। राजनीति के लिए देश को धर्म और पार्टी में बांटने वालों को संसद में न आने दें।
संतोष सोनी, लखोली
देश में जो भी पार्टी सरकार बनाती हो, लेकिन जब हमारे दुश्मन आंख उठाए, तो उन्हें ठोस जवाब देने वाली सरकार हमें चुनने की जरूरत है। कोई ऐसी पार्टी न आए जिसकी जीत से हमारे दुश्मन देश को खुशी और फायदा हो।
प्रियंक सोनी, युवा
जनता को मूलभूत सुविधा देने के लिए सरकार को काम करने की जरूरत है। जो पार्टी इन बिंदुओं पर फोकस करेगी वहीं राज करेगी। जब देशहित के मुद्दों की बात आती है, तो हमें राजनीतिकरण से बचते हुए पार्टी से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।
सुनील मिश्रा, युवा
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