सीमित संख्या में केंद्र के कारण किसानों, पशुपालकों को गोबर बेचने के लिए बहुत दूर जाना पड़ रहा है, जिससे किसानों, पशुपालकों को अनावश्यक श्रम, दिक्कत तथा समय के व्यय का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए गोबर खरीदी केंद्रों की संख्या में वृद्धि की जाए। अन्यथा किसानों की परेशानी को देखते हुए हम आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
कागजों तक सीमित है योजना लोधी ने बताया कि वर्तमान में जिन पंचायतों में गौठान योजना प्रारंभ की गई है। वहीं गोबर की खरीदी की जा रही है जो किसी गांव से 10 किलोमीटर तक की दूरी पर है। ऐसी स्थिति में ग्रामीण किस प्रकार अपना गोबर भेजेंगे यही योजना प्रत्येक किसान के गोधन का मान बढ़ाने तथा उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए बनाई गई है, किंतु इसके क्रियान्वयन में की जा रही गलतियों से योजना कागजों तक सीमित रह जाएगी।