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आयुक्त की जांच में खुलासा, जान जोखिम में डाल पढ़ाई कर रहे बच्चे

locationराजनंदगांवPublished: Oct 15, 2019 11:55:20 am

Submitted by:

Nakul Sinha

कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग को लिखा पत्र

Disclosure in commissioner's investigation, children studying at risk

आयुक्त की जांच में खुलासा, जान जोखिम में डाल पढ़ाई कर रहे बच्चे

राजनांदगांव. शताब्दी शिक्षण व महिला कल्याण समिति, शंकरपुर द्वारा वार्ड के सामुदायिक भवन में संचालित स्कूल की जांच के लिए सोमवार को नगर निगम आयुक्त पहुंचे थे। सामुदायिक भवन में छोटे-छोटे की जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कराते पाया गया। निरीक्षण में पाया गया कि 4 से 8 वर्ष के बच्चों को इस भवन के प्रथम तल पर पढ़ाया जा रहा है, जबकि प्रथम तल तक पहुंचने के लिए कोई भी सुरक्षित मार्ग/सीढ़ी नहीं है। बच्चे पूर्णत: असुरक्षित तौर पर ग्राउंड फ्लोर से प्रथम तल तक एक लोहे की सीढ़ी (बिना बैरीकेटिंग के) के द्वारा जाते हंै, जिससे किसी भी प्रकार की आकस्मिक दुर्घटना होने की पूर्ण आशंका है। छग पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि शिक्षा विभाग के द्वारा इस स्कूल को नियम विरूद्ध अनुमति/मान्यता दिया गया। मान्यता नवनीकरण करने के पूर्व स्थल निरीक्षण किया जाता है और आरटीई कानून के मान व मानकों में उल्लेखित प्रावधानों और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग दिल्ली द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर ही मान्यता नवनीकरण किया जाता है।
अन्य में स्थिति खराब
पॉल का आरोप है कि शिक्षा विभाग के द्वारा नगर-निगम क्षेत्र में लगभग 30 सुविधाविहिन निजी स्कूलों को अनुमति/मान्यता दिया गया है, जबकि इन स्कूलों को वर्ष 2016 के बाद बंद कर दिया जाना चाहिए था। इस संबंध में स्कूल शिक्षा सचिव के द्वारा भी जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर ऐसे निजी स्कूलों में आरटीई के बच्चों को प्रवेश नहीं दिलवाने के संबंध में निर्देशित किया गया था, लेकिन शिक्षा विभाग के मान्यता कक्ष में बैठे जिम्मेदार लोगों के द्वारा न तो अपने उच्च अधिकारियों की बातों पर ध्यान दिया और न कानून में उल्लेखित प्रावधानों को पालन करवाया गया।
आयुक्त नगर-निगम, चंद्रकांत कौशिक ने कहा कि शिकायत के बाद जांच के लिए पहुंचे थे। वहां बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से जगह की कमी है। बच्चे जान-जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है।
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