घर-घर जाकर मलेरिया तथा डेंगू रोग की रोकथाम एवं बचाव के संबंध में तथा अपने घरों के आस-पास सफाई रखने डेंगू तथा मलेरिया के मच्छरों की उत्पत्ति के कारकों जैसे कूलर, छत पर खुली पानी की टंकिया, फटे पुराने टायर ड्यूब, टूटे फूटे मटके, बाल्टी, टीन एवं प्लास्टिक के डिब्बे, घर के सजावटी गमलों में पानी में, मनी प्लांट के पौट के पानी में, मंदिर की कलश में बहुत दिनों से रखे पानी में, फ्रीज के नीचे टे्र, जहां पानी जमा होता है, उस टे्र में, नारियल के टूटे हुए टुकड़े में जिसमें पानी जमा हो, कच्चे नारियल का पानी पीने के बाद फेंक दिया जाता है। इनके अंदर बारिश का पानी जमा होने पर मच्छर उत्पत्ति क्षेत्रों को नष्ट या व्यवस्थित करने पर मच्छर की पैदावार को रोका जा सकता है। मलेरिया तथा डेंगू रोग की रोकथाम के संबंध में आवश्यक स्वास्थ्य शिक्षा एवं सोर्स रिडक्शन एक्टीविटी की जा रही है।
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी ने की अपील मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने नगरवारियों से अपील की कि मच्छर उत्पत्ति के कारणों को नष्ट करने के लिए वर्तमान में ही उपाय किये जाने पर कारकों को नष्ट किया जा सकता है। अभी सभी के घरों में कूलर चल रहे होंगे। प्रति सप्ताह कूलर को अच्छी तरह धो लें तथा कूलर के खस वाली शीट को अच्छी तरह धोकर धूप में सुखाना है। क्योंकि डेंगू के मच्छर एडीस के अंडे कूलर की खस की शीट में चिपके रहते हैं और नमी मिलते ही जीवित हो जाते हैं। कूलर तथा खस शीट को धोकर कड़ी धूप में सूखाना अत्यंत आवश्यक होगा।
पानी टंकियों को अभी से ढंक कर रखना शुरू कर दें घर के आंगन एवं छतों में रखे टूटे-फूटे मटके, टायर ट्यूब, प्लास्टिक की बाटल, डब्बों को अभी से नष्ट कर दें। आंगन एवं छत की खुली पानी की टंकियों को अभी से ढंक कर रखना प्रारंभ कर दें। फ्रीज के पानी जमा होने वाले टेऊ के पानी को प्रति सप्ताह बदलते रहें। मंदिर में रखे कलश के पानी को प्रति सप्ताह बदलना चाहिए। हमेशा मच्छरदानी लगाकर सोने की आदत डालें। इस प्रकार हम छोटी-छोटी सावधारियों से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों से बच सकते हैं।