प्रशासन को इस ओर ध्यान देना जरूरी है नहीं तो अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम का नामो निशान धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगा। स्टेडियम में अब चारों ओर मिट्टी ही मिट्टी नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि वह सुबह खिलाडिय़ों के लिए भी खेलने के लिए नहीं खोला जाता जबकि प्रशासन द्वारा स्टेडियम में को खिलाडिय़ों के प्रैक्टिस के लिए खोलने का आदेश हुआ है। 5 साल पहले एक ही बार अंतरराष्ट्रीय मैच होने के बाद से आज तक यहां अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं हो पाया है। जर्जर हो रहे अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है।
हॉकी स्टेडियम के चारों को जर्जर स्थिति यहां बैठने की जो कुर्सियां हैं वो भी सड़ चुकी है। यहां कैमरा, कमेंट्री करने के लिए दो लोहे के स्तंभ बनाए गए थे वे भी टूट फूट कर गिरे हुए हैं। जिसके कारण चारों ओर का आवरण भी क्षतिग्रस्त हो गया है। खिलाडिय़ों को प्रेक्टिस करने भी अब इसे नहीं दिया जा रहा है। मैदान का किसी न किसी प्रकार से उपयोग होना जरूरी है उपयोग के अभाव में टर्फ उखडऩे, मिट्टी निकलने और झाडिय़ां उगने की स्थिति निर्मित हो रही है।