आज से लॉकडाउन प्रक्रिया खत्म करने के बाद राजनांदगांव-कवर्धा मार्ग पर संचालन शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन संचालकों ने राज्य और जिला स्तर पर बस मालिक संघों के निर्णय का समर्थन करते संचालन स्थगित रखे जाने का ही फैसला किया है। दुर्ग मार्ग पर चल रही एक मात्र बस भी पखवाड़े भर से बंद है, जिसके बाद बस संचालन शुरू होने को लेकर इलाके में दुविधा की स्थिति है। बसों का संचालन कब से शुरू हो पाएगा इसमें अब तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है।
संचालन का प्रयास हुआ तो सप्ताह भर में ही पचास हजार पहुंचा घाटा राजनांदगांव-कवर्धा मार्ग पर चलने वाली विभिन्न बसों के संचालकों में से छह संचालकों की समिति बनाकर बसों का संचालन शुरू कराया गया था। पहले दोनों ओर से तीन तीन बसों का संचालन किया जाना तय किया गया था। पहले तीन दिन में एक बस के लायक भी यात्री नहीं मिले, जिसके बाद दोनों ओर से एक एक बसों का संचालन किया जाता रहा। इसी बीच राजनांदगांव में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढऩे के बाद लॉकडाउन घोषित करते बसों का संचालन बंद कर दिया। इस दौरान संचालकों को सप्ताह भर में ही पचास हजार रू से अधिक का घाटा सवारी नही मिलने से उठाना पड़ा। जिसके बाद संचालकों ने अब अनलाक होने के बाद भी बस संचालन से हाथ खड़े कर दिए।
निजी वाहनो का उपयोग बढ़ा, बसों में यात्रा से परहेज कोरोना संक्रमण काल में 22 मार्च से बंद हुई बस सेवा के बाद से लगातार आवाजाही कम हुई है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद अनलाक में लोग आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन सफर के लिए बसों का उपयोग करने से कतरा रहे है। गांव सहित इलाके में आसपास की आवाजाही के लिए दो पहिया वाहनों का उपयोग ज्यादा हो रहा है तो दूर दराज के आवागमन के लिए लोग निजी चार पहिया वाहनों से ही आनाजाना पसंद कर रहे है। बस संचालकों को भी अप्रैल मई के करों में छूट के बाद कोई खास राहत नहीं मिल पाई है, जिससे संचालकों के सामने भी ध्ंाधा चौपट होने की आशंका बढ़ रही है। टैक्स में छूट, किराए में बढ़ोतरी सहित अन्य मांगों को लेकर बस संचालक अब सरकार से आस लगाए बैठे हैं।
चालक, परिचालक सहित बस व्यवसाय से जुड़े परिवार परेशान कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन, अनलाक की प्रक्रिया होने के दौरान लगभग सभी व्यापारों, धंधों को राहत मिल गई लेकिन बस व्यवसाय से जुड़े संचालकों सहित चालक परिचालकों और बस स्टैंड में व्यवसाय कर अपना और परिवार का पेट पालने वालों को अब तक कोई राहत नहीं मिली है। चालक परिचालक चार माह से खाली बैठे हैं। बस व्यवसाय से बस स्टैंड में मुंशी, हेल्पर, कुली, हमाल का काम कर रोजाना रोजीरोटी का जुगाड़ जमाने वाले परेशान हंै। बस रूटों के साथ स्टैंड में लगने वाली दुकाने भी खाली पड़ी है। धंधा चौपट हो गया है। हजारों की आवाजाही वाला बस स्टैंड भी रोजाना सुनसान पड़ा है।