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बारिश नहीं होने से सूखने लगे खेत, टूटी किसानों की उम्मीदे

locationराजनंदगांवPublished: Aug 21, 2019 10:33:54 pm

Submitted by:

Nakul Sinha

सावन के बाद अब भादो भी तरसा रहा पानी को, खेतों में पडऩे लगी दरारें

Farm started drying up due to no rain, hopes of broken farmers

गहराया संकट… पानी के अभाव में फसल सूखने के कगार पर।

राजनांदगांव / डोंगरगढ़. बारिश की उम्मीद में पूरा जुलाई माह व अगस्त का एक पखवाड़ा बीत गया लेकिन अंचल में वर्षा बिलकुल भी नहीं हुई है। पानी नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ रही है और फसल के रंग भी पीले होने लगे है। बारिश नहीं होने से चिंतित किसान अपनी धान की फसल को मवेशियों के हवालें कर देंगे। किसानों ने अपने खेत में धान की बोआई की है व बैंक से हजारों रूपए का ऋण भी लिया हुआ है। कृषकों ने बताया कि बारिश की उम्मीद में वे काफी दिनों तक इंतजार किया लेकिन अब वे अपने कर्ज की भरपाई नहीं कर सकेंगे। यदि एक-दो दिनों में बारिश होगी तब भी वह लागत नहीं निकाल पाएगा। इसलिए हारकर वे खेतों में मवेशियों को चरने छोडऩे मजबूर होंगे। किसानों के सामने जीवन-यापन के लिए रोजगार व बैंक का कर्ज पटाने की समस्या खड़ी हो गई है।
सूखे फसल मवेशियों को खिलाने मजबूर
गौरतलब है कि २५ अगस्त तक यदि बारिश नहीं हुई तो पूरा ब्लॉक सूखेे की चपेट में आ जाएगा और मजबूरी में किसानों को धान की फसल को मवेशियों के हवाले करना होगा। बीते दिनों से बारिश बिलकुल थम गई है, सावन माह में भी दो-तीन दिन ही बारिश हुई। भादो लगने के बाद से एक बार भी बारिश नहीं हुई है।
बारिश नहीं होने से ब्लॉक में सूखे के हालात
ब्लाक में अधिकांश छोटे किसान है और वे साल में एक बार खरीफ की फसल ही लेते हैं। इसी से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। लेकिन इस वर्ष सूखे के चलते विकट समस्या खड़ी हो गई है। ऐसी ही स्थिति पूरे अंचल भर में है, यदि सप्ताह भर के भीतर बारिश नहीं हुई तो सभी किसानों के पास भी कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। किसान केवल बारिश के पानी पर आश्रित है, इसी वजह से अधिकतर किसान खरीफ फसल ही ले पाते है। ब्लाक के ढारा, मोहारा, पुरैना, बिलहरी से लेकर खैरागढ़ ब्लाक के मदनपुर, चिचोला, ताकम, उरईडबरी से लेकर मुढीपार, भंडारपुर क्षेत्र में भी स्थिति चिंताजनक है। मूलत: किसान धान की फसल पर आश्रित है। मुढीपार के बड़े कषक भारतभूषण सिन्हा ने बताया कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी उन्होंने ३५ से ४० एकड़ में धान की फसल बोई है। सप्ताह भर बारीश नही हुई तो बीज निकलना भी मुशकिल हो जाएगा। ऐसी ही स्थिति अन्य कृषकों की भी है।
जलाशय भी पड़े खाली, बोर में नही है पानी, स्थिति चिंताजनक
ब्लॉक के जलाशय भी औसत बारिश नहीं होने की वजह से खाली पड़े है। बारिश नहीं होने से किसान बियासी भी नहीं कर पाएं है। परहा लगाने के बाद पानी नहीं होने से खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें नजर आ रही है। धान की फसल को पानी नहीं मिलने से पौधा ६ इंच से घटकर ४ इंच का हो गया है। ब्लॉक के अधिकतर खेतों में सिंचाई के लिए पानी देने वाले पनियाजोब, डंगबोरा ढारा व अन्य बांधों में गर्मी जैसे हालात बने हुए है। बारिश नहीं होने से चिंताजनक स्थिति बन गई है। वर्तमान स्थिति पर गौर किया जाए तो लगभग ५० प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है। जो किसानों के लिए बड़ा नुकसान है। सिंचाई के लिए पानी छोडऩे किसान डिमांड कर चुके है, लेकिन जलभराव नहीं होने से अफसर भी असमंजस में है।
घटा जलस्तर, अब ट्यूबवेल भी छोड़ रहे साथ, पेयजल का भी संकट मंडराने लगा
बारिश नहीं होने का असर भूमिगत जलस्तर पर भी पड़ा है। औसत बारिश नहीं होने से वॉटर लेबल काफी गिर गया है। जिन किसानों ने अब तक ट्यूबवेल के भरोसे सिंचाई किया है, उन्हें अब साथ नहीं मिल पा रहा है। ट्यूबवेल से भी सिंचाई के लिए पानी नहीं निकल रहा है। आने वाले दिनों में शहर में पेयजल को लेकर भी संकट आ सकती है। चिचोला के कृषक संजय वर्मा ने बताया कि क्षेत्र में बोर के माध्यम से कृषक पानी की आपूर्ति करते थे किन्तु अब बोर भी सूख गए है जिससे खेतों में पानी तो दूर आगामी समय में पीने के पानी की समस्या भयावह होगी। कृषक मूलचंद लोधी ने बताया कि किसानों के सामने बड़ा संकट आ खड़ा हो गया है। यदि पानी नही गिरा तो मवेशी व स्वयं के लिए भी जीवन यापन की समस्या खड़ी होगी।

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