ज्ञात हो कि नवागांव में राशन दुकान का संचालन करने वाले के खिलाफ लगातार गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थी। वार्डवासी कम तौल की बात को लेकर पिछले दस सालों से शिकायत कर रहे थे, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही थी। इस पर बुधवार को वार्ड पार्षद राजा तिवारी ने गरीबों को मिल रहे राशन में कमी को लेकर खाद्य विभाग को शिकायत की।
जब खाद्य विभाग की टीम पहुंची और स्टाक का मिलान कराया तो सारा मामला साफ हो गया। आठ दिन के ही हिसाब में साढ़े सात क्विंटल चावल दुकान में अधिक पाया गया है। खाद्य निरीक्षक ने मामले में प्रतिवेदन तैयार कर जिला प्रशासन को सौंप दिया था। सूत्रों से मिल रही जानकारी अनुसार कार्रवाई के बाद दुकान संचालक एफआईआर से बचने मामले में राजनीतिक एप्रोच भी लगा रहा है।
खाद्य विभाग व नापतौल विभाग सुस्त
ज्ञात हो कि राशन दुकानों में इसी तरह लिटिया व पेंड्री के राशन दुकानों में भी गड़बड़ी की शिकायत सामने आ चुकी है। शहरी क्षेत्र की दुकानों में यह हाल है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। खाद्य विभाग व नापतौल विभाग कार्यालय तक ही सीमित रहते हैं। इसका राशन दुकान संचालक बखूबी फायदा उठा रहे हैं।
ज्ञात हो कि राशन दुकानों में इसी तरह लिटिया व पेंड्री के राशन दुकानों में भी गड़बड़ी की शिकायत सामने आ चुकी है। शहरी क्षेत्र की दुकानों में यह हाल है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। खाद्य विभाग व नापतौल विभाग कार्यालय तक ही सीमित रहते हैं। इसका राशन दुकान संचालक बखूबी फायदा उठा रहे हैं।
मेहरबानी क्यों, होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई
गरीबों के राशन में हेराफेरी का बड़ा मामला उजागर होने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर दुकान को सिर्फ संस्पेंड करना समझ से परे हैं। जबकि यह पूरा मामला ४२० का है। ऐसे में दुकान संचालक पर एफआईआर करना चाहिए था, ताकि अन्य दुकान संचालकों को भी सबक मिल सके। प्रशासन की सख्ती से ही इस तरह की गड़बड़ी को रोका जा सकता है। वार्डवासियों ने कहा कि लॉकडाउन में जरा से लापरवाही पर छोटे दुकानदारों पर हजारों रुपए का तत्काल जुर्माना लगाया जा रहा है, जबकि पिछले दस सालों से गरीबों का राशन डकारने वाले राशन दुकान संचालक पर मेहरबानी क्यों दिखाया जा रहा है।
गरीबों के राशन में हेराफेरी का बड़ा मामला उजागर होने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर दुकान को सिर्फ संस्पेंड करना समझ से परे हैं। जबकि यह पूरा मामला ४२० का है। ऐसे में दुकान संचालक पर एफआईआर करना चाहिए था, ताकि अन्य दुकान संचालकों को भी सबक मिल सके। प्रशासन की सख्ती से ही इस तरह की गड़बड़ी को रोका जा सकता है। वार्डवासियों ने कहा कि लॉकडाउन में जरा से लापरवाही पर छोटे दुकानदारों पर हजारों रुपए का तत्काल जुर्माना लगाया जा रहा है, जबकि पिछले दस सालों से गरीबों का राशन डकारने वाले राशन दुकान संचालक पर मेहरबानी क्यों दिखाया जा रहा है।
मामले में वार्ड पार्षद राजा तिवारी ने कहा कि लॉकडाउन में राशन के हेराफेरी का बड़ा मामला उजागर होने के बाद भी प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी है। बहाली हुई तो वार्डवासियों के साथ अनसन पर बैठूंगा।
फुड इंस्पेक्टर द्रोण कामड़े ने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दुकान को सस्पेंड कर दिया गया है। गड़बड़ी तो बड़ी है, भविष्य में ४२० का मामला दर्ज कराया जा सकता है।