मरीजों का करना पड़ रहा भीड़ का सामना
नगर के सरकारी तीस बिस्तर अस्पताल में डॉक्टर के नाम पर वर्तमान में केवल एक महिला सहायक शल्य चिकित्सक के रूप में मौजूद हैं, जो स्वयं प्रभारी बीएमओ हैं और जिन्हें प्राथमिकता के साथ सरकारी कामकाज व अस्पताल प्रबंधन का पहले ध्यान रखना पड़ता है और मरीज भी देखना पड़ता है जिसे वे अपनी क्षमता के अनुसार पूर्ण भी कर रही हैं किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहर के मरीजों के भीड़ का सामना यह अस्पताल कर रहा है और एक डॉक्टर से मरीजों की लंबी लाईनों के साथ ही अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
नगर के सरकारी तीस बिस्तर अस्पताल में डॉक्टर के नाम पर वर्तमान में केवल एक महिला सहायक शल्य चिकित्सक के रूप में मौजूद हैं, जो स्वयं प्रभारी बीएमओ हैं और जिन्हें प्राथमिकता के साथ सरकारी कामकाज व अस्पताल प्रबंधन का पहले ध्यान रखना पड़ता है और मरीज भी देखना पड़ता है जिसे वे अपनी क्षमता के अनुसार पूर्ण भी कर रही हैं किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहर के मरीजों के भीड़ का सामना यह अस्पताल कर रहा है और एक डॉक्टर से मरीजों की लंबी लाईनों के साथ ही अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा सामुदायिक केंद्र
शासकीय सामुदायिक केन्द्र डोंगरगांव में अनेक विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद वर्षों से स्वीकृत हैं परन्तु आज पर्यन्त इनमें भर्ती नहीं की जा सकी है। मिली जानकारी के अनुसार स्वीकृत पदों में खंड चिकित्सा अधिकारी, सहायक शल्य चिकित्सक, दंत चिकित्सा अधिकारी, विशेषज्ञ मेडिसिन, विशेषज्ञ शिशु रोग, विशेषज्ञ स्त्री रोग, विशेषज्ञ सर्जरी, पीजीएमओ निश्चेतना में मात्र सहायक शल्य चिकित्सक एवं दंत चिकित्सा के पद ही भरे हैं बाकी सारे पद खाली हैं। जिनमें प्रमुख रूप से शिशु, स्त्री रोग के लिए क्षेत्र के मरीज जिला चिकित्सालय या प्राईवेट डॉक्टरों पर निर्भर रहते हैं। भीड़ भरे अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर दिन-रात मरीजों की सेवा में रहती हैं परन्तु कब तक? खबर यह भी है कि प्रभारी बीएमओ भी अस्पताल में मरीजों और व्हीआईपी दबाव के चलते काफी उलझन में है।
शासकीय सामुदायिक केन्द्र डोंगरगांव में अनेक विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद वर्षों से स्वीकृत हैं परन्तु आज पर्यन्त इनमें भर्ती नहीं की जा सकी है। मिली जानकारी के अनुसार स्वीकृत पदों में खंड चिकित्सा अधिकारी, सहायक शल्य चिकित्सक, दंत चिकित्सा अधिकारी, विशेषज्ञ मेडिसिन, विशेषज्ञ शिशु रोग, विशेषज्ञ स्त्री रोग, विशेषज्ञ सर्जरी, पीजीएमओ निश्चेतना में मात्र सहायक शल्य चिकित्सक एवं दंत चिकित्सा के पद ही भरे हैं बाकी सारे पद खाली हैं। जिनमें प्रमुख रूप से शिशु, स्त्री रोग के लिए क्षेत्र के मरीज जिला चिकित्सालय या प्राईवेट डॉक्टरों पर निर्भर रहते हैं। भीड़ भरे अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर दिन-रात मरीजों की सेवा में रहती हैं परन्तु कब तक? खबर यह भी है कि प्रभारी बीएमओ भी अस्पताल में मरीजों और व्हीआईपी दबाव के चलते काफी उलझन में है।
मेहमानों का जिम्मा भी है अस्पताल पर
आगामी 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है और इसके लिए पर्याप्त फोर्स और अधिकारी कर्मचारी पहुंच चुके हैं। ऐसे में नगर के हॉस्पिटल में डॉक्टरों का नहीं होना चिंताजनक है। बाहर से लोगों को वातावरण में बदलाव के साथ-साथ ठंड के कारण बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके चलते चुनाव संपन्न कराने के बाधा उत्पन्न हो सकती है।
आगामी 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है और इसके लिए पर्याप्त फोर्स और अधिकारी कर्मचारी पहुंच चुके हैं। ऐसे में नगर के हॉस्पिटल में डॉक्टरों का नहीं होना चिंताजनक है। बाहर से लोगों को वातावरण में बदलाव के साथ-साथ ठंड के कारण बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके चलते चुनाव संपन्न कराने के बाधा उत्पन्न हो सकती है।
अचानक हुई दुर्घटना की कोई तैयार नहीं
अचानक किसी गंभीर दुर्घटना या बड़ी संख्या में एक साथ मरीजों के अस्पताल पहुंचने की स्थिति में सरकारी अस्पताल उन्हें संभालने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है और डॉक्टरों की कमी के चलते अस्पताल में मरीजों के परिजनों से नोंकझोंक या विवाद की स्थिति हमेशा बनी रहती है। डॉक्टरों की कमी का असर अस्पताल की व्यवस्था पर भी लगातार पडऩे लगा है. जन औषधि केन्द्र में मरीजों को लगातार कई महीनों से दवाईयां नहीं मिल पा रही हैं और वहीं दवाईयाँ अस्पताल के बाहर दुकानों से महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है।
अचानक किसी गंभीर दुर्घटना या बड़ी संख्या में एक साथ मरीजों के अस्पताल पहुंचने की स्थिति में सरकारी अस्पताल उन्हें संभालने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है और डॉक्टरों की कमी के चलते अस्पताल में मरीजों के परिजनों से नोंकझोंक या विवाद की स्थिति हमेशा बनी रहती है। डॉक्टरों की कमी का असर अस्पताल की व्यवस्था पर भी लगातार पडऩे लगा है. जन औषधि केन्द्र में मरीजों को लगातार कई महीनों से दवाईयां नहीं मिल पा रही हैं और वहीं दवाईयाँ अस्पताल के बाहर दुकानों से महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है।