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राजनंदगांव

अतिथि शिक्षकों के भरोसे मोहला महाविद्यालय

11 साल बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था, पढ़ाई पर पड़ रहा असर

राजनंदगांवJun 14, 2019 / 09:53 pm

Nakul Sinha

patrika

अतिथि शिक्षकों के भरोसे मोहला महाविद्यालय

राजनांदगांव / मोहला. मोहला के लाल श्याम शाह शासकीय नवीन महाविद्यालय में प्राध्यपको की कमी जूझ रहा है। अपने स्थापना के 11 साल बाद भी यहां समस्याओ का अंबार लगा हुआ है। यहां पर नियमित प्राध्यापकों की कमी है। सभी महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई अतिथि प्राध्यापकों के भरोसे चल रही है। जिसका पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ रहा है। इतने लंबे समय के बाद भी यहां पर समस्याएं खत्म होने का नाम ही नही ले रही है। गौरतलब है कि सन् 2007 में मोहला महाविद्यालय खोला गया था तब से लेकर आज तक इस महाविद्यालय में समस्याएं ही समस्याएं रही है।
अधिकारी सहित जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान
आपको बता दे कि इस महाविद्यालय में कुल 650 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत् है और यहां पर कला प्रथम वर्ष में 180, विज्ञान में 120, वाणिज्य में 80, गणित में 60 सीटे है तथा पीजी के हिन्दी और भूगोल में सीटे है। यह महाविद्यालय हेमचंद यादव दुर्ग विश्वविद्यालय से संबंध है। प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में यहां पर प्रवेश के लिए आवेदन आते है लेकिन कम सीटे होने की वजह से सैकड़ो विद्यार्थी प्रवेश लेने से वंचित हो जाते है। स्नातक में हिन्दी तथा स्नातकोत्तर कई महत्वपूर्ण कक्षाएं जैसे फिजिक्स, बॉॅटनी, अंग्रेजी की कक्षाएं अभी तक शुरू नही हो पायी है। नतीजा यह है कि हर साल बड़ी संख्या में विद्यार्थियो को इन विषयों की आगे की पढ़ाई के लिये लंबा सफर तय कर आगे जाना पड़ता है। मूलत: आदिवासी क्षेत्र होने के कारण यहां के विद्यार्थी आर्थिक रूप से कमजोर है जो आगे की पढ़ाई के लिये बाहर नही जा पाते है तथा उनकी पढ़ाई स्नातक में ही रूक जाती है।
मांगों को लेकर छात्र 4 सालों से कर रहे संघर्ष
कालेज छात्र नेता मिर्जा अनवर बेग के साथ मिलकर कॉलेज के सभी छात्र-छात्राएं लगातार 4 सालों से संघर्ष करते आ रहे है। इन सभी छात्र-छात्राओ ने महाविद्यालय की समस्याओं से शासन-प्रशासन को अवगत कराते हुए इन समस्याओं के निराकरण के लिए कटोरा पकड़कर भी रैली निकाली गई थी किंतु आज भी जस की तस है।
इन मांगों को पूरा कराने सड़क पर उतरे थे छात्र
नियमित प्राचार्य की कमी। 11 प्राध्यापकों की कमी। चौकीदार/फर्रास/लिफ्टर की कमी। क्रीडाधिकारी की कमी, ग्रंथपाल की कमी, कक्षाएं के लिए भवन की कमी। गं्रथालय व विषयों की कमी।
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