ओले और पानी गिरने से किसानो के माथे पर पड़ी चिंता की लकीरें ...
सोसाइटी में लगभग 6 सौ किसान पंजीकृत

छुईखदान. ब्लॉक मुख्यालय से लगे हुए ग्राम गोपालपुर, कोड़का, सिलपट्टी, पदमावतीपुर, खपरीदरबार, उदयपुर, बोरई, कोटरा आदि क्षेत्रों में हुई अत्यधिक वर्षा व ओले गिरने से फसल पूरी तरह से चौपट हो चुके है। इस साल अकाल से भी भयानक स्थिति बन गई है। रबी फसल से किसान अपने आने वाले दिनों के खर्चे व बचे हुए पैसों से साल भर की खेती करने के लिए रखते है परंतु इस बार फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाने से किसानों के हाथ पूरी तरह से खाली हो चुके हैं जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे पड़ गई है।
पूरे क्षेत्र में किसानों के पास एक दाना भी चना होने की कोई उम्मीद नही है, जो किसान पूरे देश में चने देता था उनके सामने ही चने खाने के लाले पड़ गए। उन्हेंं खुद खाने के लिए चने व चने से बने बेसन लेने की जरूरत पड़ गई है। साथ ही किसानों को यह भी चिंता सता रहा है कि आने वाले समय में वह अपने खेतों में चने की बुवाई के लिए बीज कहां से लाएं। किसानों को इस वर्ष दोहरी मार का सामना करना पड़ा है पहले तो धान के उत्पादन कम हुआ और जो भी हुआ था उससे बेचकर थोड़ा बहुत कर्ज जमा किए है। मार्च में किसानों के सामने कर्ज पटाने की सबसे बड़ी समस्या खड़ी हुई है। वर्तमान समय में किसानों का केवल धान के माध्यम से 30 से 40 प्रतिशत ही कर्ज जमा हो पाया है, अब उन्हें बचे हुए रुपए को पटाने की चिंता सताए जा रही है।
सोसाइटी में लगभग 6 सौ किसान पंजीकृत
सिलपट्टी सहकारी सोसायटी में रबी सीजन में केवल 210 लोगों ने ही बीमा कराया है जबकि इस सोसाइटी में लगभग 600 किसान पंजीकृत है। बीमाकृत किसानों को यदि बीमा का लाभ भी मिलता है तो बाकी बचे हुए किसान इससे वंचित रह जाएंगे। किसानो की आस केवल छत्तीसगढ़ सरकार पर आकर टिकी हुई है व इन क्षेत्रों के किसानों ने छत्तीसगढिय़ा मुखिया से निवेदन किया है की सरकार उन्हे चने की बीज गेहूं की बीज आदि उपलब्ध कराएं साथ ही साथ कर्ज पटाने के लिए 25 से 30 प्रतिशत की छूट प्रदान करने की अपील की है।
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