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राजनंदगांव

जमाखोरी: जरूरी सामानों के दाम में वृद्धि, कौन है जिम्मेदार

लॉकडाउन का असर: फैक्ट्री व उद्योग सवा महीने से बंद, पान मशाला व गुटखा-पाउच की कीमत चार गुनी तक बढ़ी

राजनंदगांवApr 30, 2020 / 08:07 pm

Govind Sahu

जमाखोरी: जरूरी सामानों के दाम में वृद्धि, कौन है जिम्मेदार

जमाखोरी: जरूरी सामानों के दाम में वृद्धि, कौन है जिम्मेदार

राजनांदगांव. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए २२ मार्च को जनता कफ्र्यू के बाद लगे लॉकडाउन से लेकर अब तक फैक्ट्री व उद्योग बंद पड़े हैं। यहां काम करने वाले मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं। ऐसे में कई तरह की जरूरी सामानों, खाद्य पदार्थों व पान मशालों का उत्पादन ठप पड़ गया है। मांग के अनुरूप बाजार में सामानों की सप्लाई नहीं होने के कारण कई सामानों की कीमत अचानक बढ़ गई है। पान-मशालों को तो चार गुना अधिक दाम में बेचा जा रहा है। अच्छी बात ये कि सब्जियों के दाम नहीं बढ़े हैं।

सूत्रों से मिल रही जानकारी देश में लॉकडाउन ३ मई के बाद भी जारी रह सकता है। इसके अलावा कोरोना वायरस के खौफ के बाद आसानी से उद्योगों में काम करने के लिए कर्मचारी व मजदूरों की उपलब्धता भी नहीं होगी। ऐसे में कई बड़े व्यापारी जमाखोरी भी कर रहे हैं। इसमें जरूरी वस्तुएं भी शामिल है। इस ओर शासन-प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बड़े व्यापारी इस संकठ की घड़ी में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर कोई सामान की जमाखोरी न कर पाए और न ही उसे अधिक कीमत पर बेच सके।

सभी तरह के खाद्य पदार्थों के दामों में वृद्धि से लोगों के होश उड़ गए हैं। लोगों ने दुकानदारों से मजबूरी का फायदा नहीं उठाने की बात कह रहे तो तरह-तरह की बात कह दुकानदार ग्राहकों से बहस करने लग जाते हैं। दुकानदार थोक व्यापारियों से ही अधिक दाम में खरीदी करने की बात कहते हैं। महंगे दाम में सामान खरीदना काफी मुश्किल हो रहा है। जिसके चलते लोग जो ज्यादा जरूरी नहीं उन सामानों की खरीदी नहीं कर रहे।
जीवन निर्वहन में समस्या
इस दौरान सबसे अधिक उन लोगों को परेशानी हो रही है जो रोज कमाते हैं तब उनके घर चूल्हा जलता है। उन लोगों को बिना काम के इस समय जीवन निर्वहन करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यदि घर में किसी को स्वास्थ्य गत समस्या आती है, तो उनकी परेशानी और बढ़ जा रही है। हालांकि कुछ कार्यों के लिए शासन-प्रशासन की ओर से छूट दिया गया है। लेकिन कुछ कार्य ऐसे हैं, जो अब भी बंद पड़े हैं।
छोटे-मोटे व्यापार करने वालों की परेशानी बढ़ी
दिहाड़ी मजदूरों के अलावा छोटा-मोटा व्यापार कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वालों की दिक्कत भी बढ़ गई है। इसमें सेलून, ब्यूटी पार्लर, स्पा सेंटर, कारपेंटर, सड़क पर ठेला-खोमचा चलाने वाले, चाय दुकान, होटल व्यवसायी, ऑटो रिक्शा चालक व कपड़ा और ज्वेलरी दुकान चलाने वालों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके अन्य कई छोटे-बड़े व्यवयाय से जुड़े लोगों की समस्या बढ़ गई है। बड़े व्यापारियों के पास तो जीवन यापन करने की क्षमता है, लेकिन इन इससे जुड़े छोटे व्यापारी व यहां कार्य करने वाले कर्मचारियों की समस्या बढ़ गई है।

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