नेशनल हाईव में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित राजनांदगांव जिले के बागनदी बार्डर के पास फंसे दो सौ से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो मुंबई से टैक्सी में अपने घर झारखंड जाने निकले हैं। महाराष्ट्र की पुलिस और प्रशासन ने लाकडाउन के बीच इनको आगे बढऩे दिया और अब वे छत्तीसगढ़ के दरवाजे पर पहुंच गए हैं। यहां तक पहुंचे लोगों में महिलाएं भी हैं और उनकी गोद में साल, डेढ़ साल के बच्चे भी हैं। राजनांदगांव में जिला प्रशासन ने ऐसे लोगों के लिए बागनदी और सड़क चिरचारी में शिविर भी लगाया है लेकिन शिविर में न जाकर सीधे झारखंड में अपने गांव जाने की जिद पर अड़े हुए बड़ी संख्या में लोग पिछले दो-तीन दिन से सड़क पर ही मौजूद हैं। उधर महाराष्ट्र के कई शहरों से पैदल ही झारखंड के लिए निकले करीब साढ़े 3 सौ लोगों को सड़क चिरचारी में वन विभाग के डिपो में रखा गया है।
सड़क ही बन गया घर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने देशभर में लाकडाउन किया गया है। 22 मार्च के जनता कफ्र्यू के बाद 24 मार्च से लाकडाउन कर वायु, रेल और सड़क परिवहन बंद कर दिया गया है। इसके पीछे केंद्र सरकार की मंशा है कि लोगों का हर स्तर पर परिवहन बंद किया जाए ताकि कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण को रोका जा सके। इसी मंशा से छत्तीसगढ़ राज्य को भी लाकडाउन कर बाहर के राज्यों से यहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन दूसरे राज्यों से यहां आने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। काम-धंधा बंद हो जाने के बाद अपने घरों तक पहुंचने निकले लोग रास्ते में फंस गए हैं। हालत यह है कि घर जाने की जिद पर अड़े लोग महिलाओं और बच्चों के साथ सड़क पर ही बीते दो-तीन दिन से डटे हुए हैं।
महाराष्ट्र में हो रही लापरवाही कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र का नंबर देश में सबसे आगे है। छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा पर बढ़ रही दिगर राज्यों की भीड़ बता रही है कि लाकडाउन के दौरान लोगों को रोकने के मामले में महाराष्ट्र लापरवाही कर रहा है और पुणे, मुंबई जैसे शहरों से निकलकर लोग यहां बार्डर तक पहुंच रहे हैं। मुंबई और पुणे से लोग टैक्सी लेकर बागनदी बार्डर तक पहुंच गए हैं और सभी की जिद है कि वे झारखंड में अपने गांव जाएंगे। महिलाएं और पुरुष से लेकर बच्चे बीते तीन दिनों से यहीं पर टैक्सी में ही रात काट रहे हैं।
बार्डर में लगी वाहनों की कतारें बागनदी में आलू, प्याज और फलों से भरे ट्रकों के अलावा निजी और किराए की टैक्सियों की लंबी कतारें लग गई हैं। हालत यह है कि अत्यावश्यक सेवाओं वाले ट्रकों को भी वाहनों के कतार के चलते निकलने में दिक्कत हो रही है। मंगलवार दोपहर बार्डर पर फंसे लोगों ने उन्हें जाने देने फिर से हंगामा किया और अत्यावश्यक सेवा सामग्री से भरे ट्रकों के आगे बैठकर नाराजगी जाहिर की।
कैम्प में जाने तैयार नहीं डोंगरगढ़ एसडीएम अविनाश भोई ने पत्रिका को बताया कि मेडिकल इमरजेंसी वालों को जाने दिया जा रहा है लेकिन बाकी लोगों को सड़क चिरचारी में बने कैम्प में लाकडाउन तक रहने जाने कहा जा रहा है पर वे इसके लिए तैयार नहीं हैं। एसडीएम भोई ने बताया कि बार्डर में फंसे लोगों तक भी प्रशासन भोजन पहुंचा रहा है। हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने भोजन को लेकर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि वे आधे से ज्यादा रास्ता पार कर आ गए हैं, उन्हें उनके घर जाने दिया जाना चाहिए।
बच्चों का क्या कसूर बागनदी बार्डर के पास अपने बच्चों को गोद में लिए महिलाएं उन्हें यहां से जाने देने की गुहार लगा रही हैं। महिलाओं का तर्क है कि प्रशासन प्याज, आलू सहित अन्य सामग्रियों के ट्रकों को जाने दे रहा है लेकिन उन्हें यहीं रोक दिया गया है। महिलाओं का कहना है कि क्या वे कोरोना लेकर जा रहे हैं और उनके बच्चों का क्या कसूर है। मुंबई से अलग-अलग लगभग 15 से 20 टैक्सियों में आए लोगों में बड़ी संख्या में बच्चे भी हैं। बच्चों में दो से लेकर 8-10 साल तक के बच्चे भी हैं।