अपने बच्चों का लक्ष्य तय कर रहे
इस दौरान दिग्विजय कॉलेज के प्रोफसर चंद्रकुमार जैन, सहित संस्था प्रमुख और अन्य मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि समाज में जिस समरसता की बात होती है, उसके लिए कोई काम नहीं हो रहा है। सभी प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में दौड़े जा रहे हैं। कहां पहुंचना है ये पता नहीं है। लोग अपने पड़ोसी की सुख-सुविधा और कामयाबी को देखकर अपने बच्चों का लक्ष्य तय कर रहे। इस वजह से मन को शांति नहीं मिल रही। आज की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूल से ज्यादा कोचिंग सेंटर हो गए है। स्कूल से ज्यादा कोचिंग सेंटर में फीस जमा कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सदभाव के लिए काम नहीं हो रहा तो गुणात्मक विकास कैसे होगा।
इस दौरान दिग्विजय कॉलेज के प्रोफसर चंद्रकुमार जैन, सहित संस्था प्रमुख और अन्य मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि समाज में जिस समरसता की बात होती है, उसके लिए कोई काम नहीं हो रहा है। सभी प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में दौड़े जा रहे हैं। कहां पहुंचना है ये पता नहीं है। लोग अपने पड़ोसी की सुख-सुविधा और कामयाबी को देखकर अपने बच्चों का लक्ष्य तय कर रहे। इस वजह से मन को शांति नहीं मिल रही। आज की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूल से ज्यादा कोचिंग सेंटर हो गए है। स्कूल से ज्यादा कोचिंग सेंटर में फीस जमा कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सदभाव के लिए काम नहीं हो रहा तो गुणात्मक विकास कैसे होगा।