फसलों में जैविक विधि से कीट एवं रोग के नियंत्रण के लिए पंचगव्य जीवामृत, बीजामृत एवं ट्राइकोडर्मा बनाने की तकनीक से कराया अवगत
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना अंतर्गत जैविक उत्पादन तकनीक पर किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

राजनांदगांव / उपरवाह. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव के द्वारा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना अंतर्गत ब्लॉक मोहला के विभिन्न ग्रामों के 20 कृषकों को जैविक उत्पादन तकनीक पर 200 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक अंजली घृतलहरे के द्वारा जैविक खाद बनाने की विभिन्न विधियों, हरी खाद, केंचुआ खाद, पशुपालन, जैव उर्वरक, फसल चक्र, जैविक प्रबंधन, नॉडेफ खाद, भू नाडेप, केचुआ खाद एवं वेस्ट डीकम्पोजर का विडियो फिल्म एवं जीवंत प्रदर्शन के माध्यम से कृषकों को बताया गया। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.मोहनिशा जंघेल द्वारा फसलों में जैविक विधि से कीट एवं रोग के नियंत्रण के लिए पंचगव्य जीवामृत, बीजामृत एवं ट्राइकोडर्मा बनाने के सरल तकनीक का प्रायोगिक प्रशिक्षण कर कृषकों को बताया गया।
जैविक खेती में पशुपालन की महत्ता को भी बताया
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.नूतन रामटेके के द्वारा जैविक खेती में पशुपालन की महत्ता को बताया गया। वैज्ञानिक सुरभि जैन के द्वारा मौसम के मेघदूत एप व क्राप डॉक्टर के बारे में बताया गया। कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय राजनांदगांव के अधिष्ठाता द्वारा कृषकों को जैविक खेती एवं फसलों के समन्वित प्रबंधन द्वारा अधिक आय लेने के लिए प्रोत्साहित किया। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.बीएस राजपूत द्वारा जैविक खेती के महत्व एवं व्यवसायिक तरीके से अपनाने के लिए कृषकों प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के अंत में सभी कृषकों को वर्मी बेड एवं ट्राइकोडर्मा किट का वितरण किया गया।
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