पूववर्ती भाजपा सरकार के समय में राजनांदगांव की शराब दुकानों के बाहर लगने वाले चखना सेंटरों का ठेका भाजपा और भाजयुमो के नेताओं के हाथ में था। बताते हैं कि इन चखना सेंटरों को किराए में देकर ये नेता हर दिन १० से २० हजार रूपए वसूल करते थे। करीब डेढ़ दो साल तक यह कमाई चलती रही। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तगड़े मुनाफे के इस काम को कांग्रेस नेताओं ने हथिया लिया।
शराब दुकानों के बाहर चखना सेंटर के संचालन को लेकर लड़ाई और बवाल की घटनाएं लगातार हो रही हैं लेकिन अवैध तरीके से तंबूओं में चल रहे इस तरह के कारोबार को रोकने आबकारी विभाग लापरवाह बना हुआ है। सत्ताधारी दल के नेताओं के इशारे पर बेधड़क चल रहे चखना सेंटरों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने से इसे आबकारी विभाग का शह मिले होने की आशंका है।
जानकारी के अनुसार खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली शराब दुकानों में भाजपा सरकार के दौर में चखना सेंटर चलाने वाले ही कर रहे थे जबकि इसका मुनाफा भाजपा नेताओं के बजाए स्थानीय लोगों को मिलने लगा था, इस बात से नाराज कांग्रेस संगठन ने प्रशासनिक दबाव डालकर दुकानों में लगे तंबू को उखड़वा दिया था। खबर है कि यहां पर अब कांग्रेस संगठन के चहेते लोगों के तंबू गाड़ दिए गए हैं। छुईखदान और गंडई क्षेत्र की शराब दुकानों में इसे लेकर बवाल भी मच चुका है।
बीते दो ढाई सालों में बदनामी और बवाल का नाम बन चुके चखना सेंटरों को अवैध करार देते हुए इसे बंद कराने के लिए खैरागढ़ विधायक सामने आए हैं। खैरागढ़ से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक देवव्रत सिंह ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि नियमों के विपरीत अवैध तरीके से चल रहे चखना सेंटरों को तत्काल बंद कराया जाए। पत्रिका से बात करते हुए सिंह ने किसी नेता का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि कुछ लोग ऐसे सेंटरों की आड़ में अवैध कमाई में लगे हुए हैं।