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वनांचल में देर से हुई बारिश, धान के पौधों का नहीं हो पाया है विकास, उत्पादन पर पड़ेगा असर …

locationराजनंदगांवPublished: Aug 14, 2020 09:14:03 am

Submitted by:

Nitin Dongre

धान की औसतन आयु 90 दिनों की होती है, जिसमें 55 दिन निकल चुके हैं और पानी 55 दिनों बाद गिरा है।

Late rain in Vananchal, paddy plants have not been able to affect development, production ...

वनांचल में देर से हुई बारिश, धान के पौधों का नहीं हो पाया है विकास, उत्पादन पर पड़ेगा असर …

जोंधरा. लंबे समय के इंतजार के बाद मायूस किसानों के चेहरे खिले-खिले नजर आ रहे हैं। कारण कि छुरिया ब्लाक के ग्राम जोंधरा, उमरवाही, गोड़लवाही, करमरी, महरूम क्षेत्र के करीब 50 ग्रामों में मानसून ने एकदम से बेरूखी दिखाते हुए पूरे अंचल को ही सूखा बना दिया था, किसान रोज आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखकर कयास लगाते कि शायद आज पानी गिरेगा। पर उनकी उम्मीद सुबह से रात के अंधेरे साथ ही खत्म हो जाती थी, उमरवाही, गोड़लवाही, करमरी, महरूम, मासूलकसा, धोबनी, जवानटोला, पटेवाडीह, मरकाकसा, आमाकट्टा साल्हे, बावली, राणा मटिया, चिखला मटिया तो ऐसे ग्राम बन गए थे।
किसानों को सौ प्रतिशत सम्भावना सच होते दिखाई दे रही थी कि इस साल अकाल होना ही है। इन ग्रामों में आज दिनांक तक कोई बियासी न निंदाई नहीं हो सकी है, देर से सही पर पूरे एक माह बाद अच्छी बारिश से पूरे क्षेत्र में चारों तरफ पानी-पानी दिखाई देने लगा है, एक खेत से दूसरे खेतो में जलधारा अविरल बह रही है। पानी के साथ ही किसानों ने एक नए उत्साह के साथ बियासी ओर निंदाई का काम प्रारम्भ कर दिया है।
फसल पहले ही धूप में जलकर हो गई खराब

उमरवाही के जनप्रतिनिधि व कृषक लक्ष्मीचंद जैन, भागीरथी राणा, नरेश यादव, सोनूराम यादव, देवसिंग विश्वकर्मा, सरपंच बडग़ांव रोहित नेताम, ठाकुर राम उपसरपंच उमरवाही, मुकेश भुआर्य ने बताया कि धान की औसतन आयु 90 दिनों की होती है, जिसमें 55 दिन निकल चुके हैं और पानी 55 दिनों बाद गिरा है। ऐसी स्थिति में फसल तो पहले ही धूप में जलकर समाप्त हो गई है जिनका थोड़ा बहुत बचा है वो किसान अपने खेतों में खाद डालने से कतरा रहे हैं उनका मानना है कि धान अब प्रौढ़ हो चुका है।
फसलों में नहीं आ रही रंगत

अब यदि इन फसलों पर खाद भी डाला जाए तो फसलों में वो रंगत नहीं आ सकती है, जो आनी चाहिए थी। किसानों बताया कि प्रशासन द्वारा फसल मुआवजा जब तय किया जाए, तो उनकी इस बात को भी प्राथमिकता क्रम में रखे कि जो किसानों की फसलें खड़ी दिखाई दे रही है, उसे डीजल मशीन या अन्य साधनों से हजारों रुपए खर्च कर सिंचाई किए हैं। फसल बीमा प्रदान करते समय इस बात को प्राथमिकता से शामिल किया जाए।
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