राजनंदगांव

मानसून के लेटलतीफी ने बढ़ाई किसानों की चिंता

बोवाई, निंदाई, रोपाई सहित सभी कार्य पिछड़ा

राजनंदगांवJul 18, 2019 / 10:13 pm

Nakul Sinha

बोरिंग सूखा… भू जल के लगातार दोहन से बोरिंग से नहीं निकल रहा पानी।

राजनांदगांव / डोंगरगढ़ (बेलगांव). डोंगरगढ़ ब्लाक सहित पूरे जिलों में मौसम की बेरुखी का सामना समुचे किसान सहित लोग कर रहे है। बरसात महीना लगते ही किसान अपनी खेती किसानी के कामों में जुट गए थे। लेकिन पुरा आषाढ़ माह में पूर्ण बारिश नही होने के कारण धान की बोवाई, निंदाई, रोपाई सहित सभी कार्य पिछड़ गया है। पंद्रह दिन पहले हुई जिले भर में बारिश के कारण किसान जल्दी-जल्दी में धान की बोआई का काम पुरा कर लिया और अब किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। सावन महीने में बारिश नहीं होने और सूरज के तेज आग उगलती धुप, उमस के कारण फसल मुरझाकर मरने लगी है।
नदी, नाले, स्टापडे व तालाब सूखे
बरसात के महिनों में नदी, नाला, स्टाप डेम, तालाब का पानी सुखने लगा है। मानसुनी बारिश नहीं होने की वजह और फसल की बोआई का समय निकलने के कारण जैसे तैसे किसान अपने फसलों की बोवाई तो कर लिया है। मगर समय पर बारिश नहीं होने की वजह से धान, सोयाबिन, दलहन, तिलहन सहित अन्य फसल अंकुरित नहीं हो पा रही है। आषाढ़ महीना के बाद अब सावन महीना भी लग गया। लोगों की आस है कि सावन लगते ही झमाझम बारिश होने की उम्मीद रखे हुए है। जिले भर सहित पूरे राज्य में बारिश लगभग थम सा गया है। समय पर बारिश नही होने के कारण किसानों को घोर आकाल की चिंता सताने लगी है।
बारिश नहीं होने से खेती कार्य पिछड़ा
किसानों को यह सोचना चाहिए कि पूरा क्षेत्र की खेती बरसात के पानी पर निर्भर रहती है। बारिश अच्छी हुई तो फसल अच्छी होती है और बारिश अच्छी नहीं हुई तो फसल नहीं पक पाती। इसलिए सोचने की बात है क्या उसके ट्यूबवेल के पानी से फसल पूर्ण हो पाएगा नहीं। उसको पानी की जरूरत तो है ही। क्षेत्र के छिपा, डोड़की, पलांदुर, डारागांव, कोलेन्द्रा, रीवागहन, ठाकुरटोला, कातलवाही, माड़ीतराई, कुसमी, लमानिन, जटकन्हार, बेलगांव, धुसेरा सहित सभी गांवों में ट्यूबवेल चालू कर पीने के पानी को बचाना उचित न समझकर रात और दिन अपने अपने खेतों में पानी सिंचित करने में लगे है। जैसे तैसे लोग अपनी दिनचर्या के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे है। यदि यही हाल रहा तो ग्रामीणों को अगस्त माह के अंतिम दिनों तक पानी के लिए कई किमी की दूरी तक भटकना पड़ सकता है। प्रसासन को भी इस ओर गंभीर होकर पहल करनी चाहिए। शासन प्रशासन को अभी से इन ट्यूबवेल पर अंकुश लगाकर कम से कम रोजमर्रा के लिए पानी की व्यवस्था किया जा सकता है।
बारिश नहीं होने से भू जल का स्तर भी गिरा
क्षेत्र में आषाढ़ माह बीत जाने और सावन माह लगने पर किसान सहित सभी वर्गो के लोगों को बारिश नहीं होने का दुख हो रहा है। बारिश नहीं होने से पेयजल निस्तारी की समस्या उत्पन्न हो रही है। क्षेत्र में बोरिंग, कुंआ, ट्यूबवेल का पानी का स्तर दिन ब दिन नीचे जा रही है। वाटर लेबल कम होने के कारण पीने का पानी और निस्तारी की विकराल समस्या आ रही है। पेयजल निस्तारी के लिए मनुष्य, पशु, पक्षी सहित सभी लोगों को पानी की जरूरत है। वहीं कई गांवों के हैंडपंप सुख गए है, क्षेत्र के सभी गांव के लोग पानी के लिए भटक रहे है। जल संग्रहण का केन्द्र कुंआ लगभग गांव हो या शहर सभी जगहों से विलुप्त होते जा रहे है। आज लोग कुएं का पानी का उपयोग नहीं करते है। सब लोग ट्यूबवेल बोर का पानी ही उपयोग करते है जिससे कुंआ का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। खेती, पेयजल सहित अन्य उपयोग के लिए लोग धरती के गर्भ से भूजल का दोहन किया जा रहा है।

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